Home Loan Recovery Rules: बदलते वक्त के साथ ही बैंकिंग व्यवस्था (Banking System) में बहुत बड़े बदलाव आए हैं. आजकल बैंकों से कर्ज लेना बहुत आसान हो गया है. बहुत से बैंक अपने ग्राहकों को होम लोन (Home Loan), बिजनेस लोन (Business Loan), पर्सनल लोन (Personal Loan) के लिए अप्लाई करने के लिए ऑनलाइन सुविधा भी देते हैं. आप ऑनलाइन ऐप के जरिए लोन के लिए आसानी से अप्लाई कर सकते है. ऐसे में अगर आप भी किसी प्रकार का लोन लेने का सोच रहे हैं तो उससे संबंधित जरूरी नियम के बारे में जान लें. यह आमतौर पर देखा गया है कि लोगों को यह लगता है कि अगर किसी व्यक्ति ने बैंक से लोन लिया है और उस लोन को चुकाने से पहले उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं तो ऐसी स्थिति में बैंक उस लोन को माफ कर देता हैं, लेकिन ऐसा नहीं हैं.
उत्तराधिकारी को चुकाना पड़ता है लोन
आपको बता दें कि अगर किसी व्यक्ति की बैंक से किसी भी प्रकार का लोन जैसे कार लोन, होम लोन, बिजनेस लोन आदि लेने के बाद उसे चुकाने से पहले असमय मृत्यु हो जाती है तो ऐसे में बैंक कर्ज को माफ नहीं करता हैं. कर्जदार की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी को लोन चुकाना पड़ता है. बैंक ने इस तरह के कर्ज को वसूलने के लिए कई अलग तरह के नियम बनाए हैं. आजकल ज्यादातर होम लोन, कार लोन आदि देने के समय ही उसका टर्म इंश्योरेंस करवा देते हैं. इससे अगर किसी कर्जदार की मृत्यु हो जाती है तो बाकी बची रकम टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) के पैसों से चुका कर प्रॉपर्टी को कर्ज मुक्त कराया जा सकता है.
होम लोन की इस तरह होती है वसूली
किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी सारी संपत्ति उसके उत्तराधिकारी को ही मिलती है. ऐसे में संपत्ती के साथ ही कर्ज चुकाने का भार भी उत्तराधिकारी को ही उठाना पड़ता है. ऐसे में अगर लोन के साथ इंश्योरेंस हो तो उसे इंश्योरेंस सके पैसों से लोन को आसानी से चुकाया जा सकता है. अगर प्रॉपर्टी (होम लोन) खरीदते वक्त अगर टर्म इंश्योरेंस नहीं कराया गया है तो ऐसी स्थिति में मकान को बैंक कुर्की करके नीलाम करके अपने लोन के पैसों को रिकवर कर लेता है.
बाकी लोन की इस तरह होती है वसूली
अगर किसी व्यक्ति ने बैंक से होम लोन लिया है और उसकी मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में बैंक सबसे पहले यह देखता है कि उसका परिवार यह लोन चुकाने में समर्थ है या नहीं. अगर वह लोन को चुकाने की स्थिति में नहीं है तो बिजनेस लोन लेते वक्त जिस प्रॉपर्टी, सोना, शेयर, फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) आदि को लोन गारंटी के रूप में रखा है उसके जरिए अपने लोन की वसूली बैंक करता है. बहुत से लोन लेते वक्त इंश्योरेंस लेते हैं, ऐसे में बची हुई राशि इस इंश्योरेंस के जरिए वसूल कर ली जाती है. वहीं क्रेडिट कार्ड जैसे बिन को भी मृतक के उत्तराधिकारी को ही चुकाना होगा. वहीं पर्सनल लोन में भी इस तरह का ही नियम फॉलो किया जाता है.
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