बैंकों की रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम के तहत कुल 8,40,000 करोड़ रुपये के लोन की रीस्ट्रक्चरिंग की जाएगी. ये बैंकों की ओर से दिए गए कुल लोन का 7.7 फीसदी है . इसमें कॉरपोरेट औैर गैर कॉरपोरेट दोनों लोन शामिल हैं. इनमें कृषि सेक्टर और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग यानी एमएसएमई सेक्टर के लिए गए लोन भी शामिल हैं. रिजर्व बैंक के लोन री-स्ट्रक्चरिंग योजना के तहत ये सभी लोन री-स्ट्रक्चर्ड किए जाएंगे. दरअसल सरकार ने कोविड-19 की वजह से अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट को देखते हुए आरबीआई से लोन री-स्ट्रक्चरिंग की मांग की थी. इसके बाद आरबीआई ने लोन री-स्ट्रक्चरिंग का फैसला किया है.


गैर कॉरपोरेट सेक्टर का 2,10,000 करोड़ का लोन होगा री-स्ट्रक्चर्ड 


लोन रीस्ट्रक्चरिंग प्लान के हिसाब से 2,10,000 करोड़ रुपये के गैर कॉरपोरेट लोन की री-स्ट्रक्चरिंग की जाएगी. यह बैंकोंं की ओर से दिए गए कुल कर्ज का 1.9 फीसदी हिस्सा है. अगर इस लोन की री-स्ट्रक्चरिंग नहीं की जाती तो यह एनपीए हो जाता. लोन पर दिए गए मोरेटोरियम की अवधि 31 अगस्त को खत्म हो जाएगी. आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि वे लोन की री-कास्टिंग कर सकते हैं. 1 मार्च, 2020 को स्टैंडर्ड लोन कैटेगरी के तहत आने वाले लोन की री-कास्टिंग होगी.


आरबीआई ने विस्तृत री-कास्ट प्लानिंग के लिए के वी कामत पैनल की नियुक्ति की है. आरबीआई के डेटा के मुताबिक 31 जुलाई तक बैंकों की ओर से 102.65 लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया है.अगर गैर कॉरपोरेट सेक्टर के लिए दिए गए कर्ज की रीस्ट्रक्चरिंग सीमा 1.9 फीसदी से आगे बढ़ी तो यह कर्ज और बढ़ सकता है. इससे पहले वित्त वर्ष 2007-08, 2010-1, 2012-13 और 2018-19 में लोन री-स्ट्रक्चरिंग की गई है.आंकड़ों के मुताबिक ज्यादातर रीस्ट्रक्चरिंग लोन के केस एनपीए साबित हुए हैं. हालांकि आरबीआई को इस बार पहले जैसे हालात के आसार नहीं है. आरबीआई की ओर से पहले ही कहा गया है कि इस बार री-स्ट्रक्चरिंग के तहत आने वाले लोन को एनपीए नहीं बनने दिया जाएगा.


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