By: एबीपी लाइव प्रीमियम | Updated at : 29 May 2024 09:23 AM (IST)
क्या लोन पर दूसरा घर खरीदना चाहिए?
आजकल शहरों का तेजी से विकास हो रहा है और लोगों की आमदनी भी बढ़ रही है. ऐसे दौर में बहुत से लोग अपने लिए दूसरा घर खरीदने का लक्ष्य बनाते हैं. एक स्टडी के अनुसार 2031 तक भारत की शहरी आबादी 600 मिलियन होने का अनुमान है.
घर हर किसी व्यक्ति की एक जरूरत है. हर व्यक्ति चाहता है कि उसका अपना एक घर हो. लेकिन सवाल ये है कि अगर किसी के पास पहले से ही खुद का घर या फ्लैट है तो क्या वाकई में एक और नया घर लोन पर खरीदना समझदारी का फैसला है?
इस फैसले का सबसे बड़ा असर आपकी जेब पर पड़ता है, इसलिए सबसे पहले ये देखना जरूरी है कि घर खरीदने से आपकी आर्थिक स्थिति और आपके बाकी सपने पूरे हो पाएंगे या नहीं. इसके अलावा ये फैसला लेने से पहले आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ये समझना भी जरूरी है. कहीं ऐसा न हो कि आप भविष्य में कर्ज के बोझ तले दब जाएं.
पहले जानिए दूसरा घर खरीदने की वजह क्या है?
दूसरा घर खरीदने के पीछे आपकी क्या मंशा है? क्या आप छुट्टियां बिताने के लिए कोई जगह ढूंढ रहे हैं, कोई ऐसी संपत्ति जिसमें पैसा लगाया जा सके, रिटायर होने के बाद रहने के लिए जगह या कोई और वजह? आपका ये फैसला इस बात को काफी हद तक प्रभावित करेगा कि आप कहां से घर खरीदते हैं, कैसा घर खरीदते हैं और आपका कितना बजट है.
360 रियल्टर्स की ओर से किए गए एक शोध के अनुसार, महामारी के बाद भारत में दूसरे घरों या हॉलिडे होम्स की मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है. 2021 के अंत तक देश में हॉलिडे होम्स की कुल कीमत 1.394 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई थी, जो कि 2019 के मुकाबले 88.63% की शानदार बढ़ोतरी है.
क्या दूसरा घर खरीदना सही फैसला है?
दूसरा घर खरीदना जरूरी नहीं कि हमेशा फायदे का सौदा हो. सबसे पहले तो ये देखना जरूरी है कि आपका मौजूदा घर आपकी जरूरतों को पूरा करता है या नहीं. अगर हां, तो शायद अभी दूसरे घर में निवेश करना सही फैसला नहीं होगा. दूसरी बात ये भी सोचना चाहिए कि क्या आप भविष्य में हमेशा उसी शहर में रहेंगे. अगर नहीं, तो सिर्फ निवेश के लिए इतना बड़ा लोन लेना जोखिम भरा हो सकता है.
फाइनेंशियल एक्सपर्ट एकलव्य कुमार सिंह ने एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा, अगर आप अपने रहने के लिए नया घर खरीदना चाहते हैं तो अलग बात है लेकिन सिर्फ इंवेस्टमेंट के मकसद से एक नया घर खरीदना चाहते हैं तो ये गलत फैसला हो सकता है. एक बार को जमीन पर निवेश करना फिर भी सही है, मगर घर पर निवेश करना बिल्कुल फायदे का सौदा नहीं है.
'अगर घर खरीदकर किराए पर भी उठा देते हैं तो भी रिटर्न बहुत कम मिलता है. किसी ने एक करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी भी ली है उस पर भी 20 हजार से ज्यादा रेंट नहीं आता. इतना पैसा कहीं और लगाएंगे तो अच्छा रिटर्न मिल जाएगा.'
एकलव्य कुमार आगे कहते हैं, दिल्ली-एनसीआर में प्रॉपर्टी की वैल्यू पहले ही बहुत बढ़ चुकी है. अब आगे बढ़ने की उम्मीद नहीं है. फ्लैट में निवेश करना भी समझदारी नहीं है. क्योंकि बिल्डिंग पुरानी हो जाती है तो एक टाइम बाद फ्लैट की कीमत गिरने लगती है.
आर्थिक बजट को कैसे प्रभावित करता है होम लोन?
मकान की 100 फीसदी वैल्यू पर होम लोन नहीं मिलता है. कोई भी घर खरीदते वक्त आपको कुछ रकम डाउन पेमेंट के तौर पर भी देनी होती है. अगर उतनी रकम नहीं है तो ये भी सोचना चाहिए कि क्या इसके लिए कहीं और से उधार लेंगे जिससे कर्ज का बोझ और बढ़ जाएगा.
होम लोन लेने का मतलब है कि आपको कई सालों तक EMI भरनी होगी. ये आपकी हर महीने की कमाई का एक बड़ा हिस्सा ले लेगी. ऐसे में ये जरूरी है कि अपना बजट बनाएं और देखें कि हर महीने कितना लोन चुका सकते हैं. साथ ही ये भी पता करना चाहिए कि ब्याज दर क्या है और ब्याज के साथ कुल कितना पैसा चुकाना पड़ेगा. ये सिर्फ लोन की EMI ही नहीं है. नया घर होने का मतलब है मकान का मेन्टेनेंस और उसका टैक्स भी भरना. ये छोटे-मोटे खर्च भी बजट को प्रभावित कर सकते हैं.
एक्सपर्ट्स दूसरा घर खरीदने का फैसला लेने से पहले इन आर्थिक सवालों पर गौर करने की सलाह देते हैं:
अनहोनी होने पर चुका पाएंगे दूसरे घर का कर्ज?
कहते हैं बुरा समय बताकर नहीं आता है. अनहोनी कभी भी किसी के साथ कहीं भी हो सकती है. अगर कभी कोई अनहोनी हो जाए जैसे नौकरी चली जाना या अच्छा खासा बिजनेस डूब जाना... तो ऐसी स्थिति में क्या करेंगे? क्या बैंक का लाखों का लोन चुका पाएंगे? इस पर विचार करना चाहिए.
साथ ही भविष्य में अपने परिवार की जिम्मेदारियों के बारे में भी सोचना चाहिए. जैसे भाई-बहन और बच्चों की शादी. उनकी पढ़ाई या फिर घूमने-फिरने का खर्च. ये सुनिश्चित करना चाहिए कि पैसों की कमी के कारण अपनी बाकी योजनाओं को टालना या कम खर्च में समेटना न पड़े. इस तरह अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग बनाएं. फाइनेंशियल प्लानिंग बनाने का मतलब है कि आप चीजों को प्राथमिकता दें और अपने बाकी लक्ष्यों को भी नजरअंदाज न करें.
बेशक, दूसरा घर खरीदते वक्त आपको लगातार मरम्मत, रख-रखाव और संपत्ति कर जैसे खर्चों को भी ध्यान में रखना होगा. ये खर्च आपके बजट को बिगाड़ सकते हैं या घूमने-फिरने की आपकी योजनाओं को प्रभावित कर सकते हैं.
फिर भी लोन पर नया घर खरीदना है तो किन बातों का ध्यान रखें?
घर खरीदते वक्त एक जरूरी नियम ये है कि दूसरा घर खरीदने के लिए जितने पैसे लग रहे हैं, उसका कम से कम 50% हिस्सा उनके पास तरल संपत्ति (liquid assets) में होना चाहिए. तरल संपत्ति का मतलब है वो पैसा जिसे आप जल्दी बेचकर या निकालकर इस्तेमाल कर सकें. जैसे बचत खाते में जमा पैसा, म्यूचुअल फंड या फिर शेयर बाजार में लगा हुआ पैसा. अगर इतनी तरल संपत्ति नहीं है तो पहले आपको अपनी जमापूंजी को बढ़ाना चाहिए या फिर कम रकम का घर देखना चाहिए.
इसके अलावा जमीन की पूरी जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए. ये देखना जरूरी है कि जमीन कानूनी तौर पर सही है या नहीं और उससे जुड़े कोई विवाद तो नहीं हैं. हर चीज को ध्यान से सोचने-समझने के बाद ही कोई फैसला लें. जल्दबाजी में लिया गया फैसला आर्थिक तंगी में डाल सकता है.
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