कार और टू-व्हीलर्स खरीदारों के लिए अब तीन या पांच साल का एकमुश्त इंश्योरेंस अनिवार्य नहीं
कोरोना संकट की वजह से कंपनियों की बिक्री पर पड़ने वाले असर को देखते हुए ऐसा फैसला किया गया है. इससे ग्राहकों को भी राहत मिलेगी.
फोर व्हीलर्स हों या टू-व्हीलर्स, नई गाड़ियों की खरीद पर एकमुश्त तीन या पांच साल का इंश्योरेंस लेना अनिवार्य नहीं होगा. बीमा नियामक प्राधिकरण यानी इरडा ने अपने पहले के फैसले को पलटते हुए कहा है कि अब नई कार खरीदने वालों को एकमुश्त तीन साल का बीमा लेना जरूरी नहीं होगा. टू-व्हीलर्स खरीदने वालों के लिए भी एक साथ पांच साल का इंश्योरेंस लेना जरूरी नहीं होगा.
इरडा ने कहा है कोरोना संकट की वजह से कंपनियों की बिक्री पर पड़ने वाले असर को देखते हुए ऐसा फैसला किया गया है. साथ ही लॉकडाउन की वजह से आम ग्राहकों की कमाई पर भी असर पड़ा है. आम ग्राहकों को भी राहत देने लिए यह कदम उठाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था अनिवार्य बीमा का फैसला
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के एक फैसले में कहा था कि बगैर थर्ड पार्टी के कोई भी वाहन सड़क पर नहीं चलेगा. इसके बाद इरडा ने वाहन खरीदारों के लिए तीन और पांच साल का बीमा कवरेज लेना अनिवार्य कर दिया था. अगस्त, 2018 से नई कार खरीदने वालों के लिए एकमुश्त तीन साल का बीमा लेना अनिवार्य कर दिया गया था. वहीं सितंबर, 2018 से मोटरसाइकिल लेने वालों के लिए दो साल का बीमा लेना अनिवार्य हो गया था.
दरअसल ग्राहकों को एकमुश्त बीमा लेना बोझ लग रहा था. इससे वाहन कंपनियों की बिक्री पर भी असर पड़ रहा था. लॉकडाउन में वाहन कंपनियों में दबाव में हैं क्योंकि उनकी बिक्री नहीं के बराबर हुई है. ऐसे में इरडा ने लॉन्ग टर्म इंश्योरेंस की अनिवार्यता खत्म करके उन्हें राहत देने की कोशिश की है. लॉकडाउन की वजह से शुरुआती दो महीनों में बीमा पॉलिसी की बिक्री में भी 90 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. एक्सपर्ट्स का कहना है कि तीन या पांच साल की अनिवार्यता से ग्राहकों पर बोझ बढ़ रहा है. इसलिए एक साल से ज्यादा का बीमा खरीदने का दबाव नहीं होना चाहिए.