नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने दो टूक शब्दों में कहा है कि राज्यों को नोटबंदी से राजस्व में होने वाले किसी तरह की नुकसान की भरपाई वस्तु व सेवा यानी जीएसटी लागू होने के प्रस्तावित मुआवजे के तहत नहीं की जाएगी. उधर, केंद्र और राज्य सरकार अब भी डुएल कंट्रोल के मुद्दे पर सहमति नहीं बना पाए हैं. डुएल कंट्रोल ऐसी व्यवस्था है जो ये बताता है कि एक निश्चित रकम तक कारोबार करने वालों पर नियंत्रण केद्र का होगा, राज्यों का होगा या फिर दोनों का.
नोटबंदी के बाद वस्तु और सेवा कर यानी जीएसटी को लेकर कुछ राज्य सरकारों मसलन पश्चिम बंगाल ने अपने तेवर और तीखे कर लिए हैं. पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि नोटबंदी से राज्य के राजस्व को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. लिहाजा, जीएसटी के तहत मुआवजे की व्यवस्था में केंद्र सरकार इस नुकसान को भी शामिल करे. केंद्र और राज्य सरकारो को मिलाकर बनी जीएसटी काउंसिल की तीनों बैठको में ये मुद्दा उठा. लेकिन काउंसिल के मुखिया और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ कर दिया कि मुआवजा सिर्फ और सिर्फ जीएसटी लागू होने के बाद राज्य सरकारों की आमदनी में होने वाले किसी भी नुकसान के लिए ही है, किसी और मकसद को शामिल नहीं किया जा सकता. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुआवजे को लेकर साफ-साफ कहा कि इसका इस्तेमाल किसी और काम में नहीं हो सकता.
इस बीच, दो दिनों तक चली जीएसटी काउंसिल की बैठक में सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी सीजीएसटी और स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी एसजीएसटी से जुड़े विधेयक के शुरुआती मसौदे को मंजूरी दी गयी. उम्मीद है कि संसद के बजट सत्र में सीजीएसटी बिल लाया जाएगा जबकि 29 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के विधानसभा में एसजीएसटी पेश किया जाएगा. बैठक में जीएसटी लागू होने के बाद नुकसान होने की सूरत में मुआवजा देने के लिए एक विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी गयी. ये विधेयक भी संसद के बजट सत्र में लाया जाएगा. अब 3 और 4 जनवरी को होने वाली काउंसिल की अगली बैठक मे दोहरे नियंत्रण और इंटिग्रेटेड जीएसटी से जुड़े विधेयक पर चर्चा होगी.
वित्त मंत्री अरुण जेटली दोहरे नियंत्रण को लेकर केद्र की स्थिति साफ कर रहे हैं औऱ ये भी कह रहे हैं कि इस मुद्दे पर कोई गिव एंड टेक का फॉर्मूला नहीं अपनाया जाएगा. जेटली ये भी कह रहे हैं कि उनकी कोशिश 1 अप्रैल से जीएसटी लागू कराने की है. फिलहाल, विधायी प्रक्रिया को लेकर जिस तरह की स्थिति बनी हुई है, उसे लेकर नहीं लग रहा है कि 1 अप्रैल से नयी कर व्यवस्था लागू हो पाएगी. ऐसे में हर हालत में 16 सितम्बर तक जीएसटी लागू कराना होगा, क्योंकि संविधान संशोधन विधेयक कानून बन चुका है और 17 सितम्बर से केंद्र अप्रत्यक्ष कर और राज्य सरकारें वैट वगैरह नहीं वसूल पाएंगी.