(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
LVMH: ये है दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति की कंपनी, 500 बिलियन डॉलर के पार हुई वैल्यू
Louis Vuitton Value: बर्नार्ड अर्नाल्ट की कंपनी एलवीएमएच के पास Louis Vuitton, Dior जैसे लग्जरी ब्रांड हैं. लग्जरी उत्पादों की तेज होती बिक्री से एलवीएमएच को भी फायदा हो रहा है.
एलन मस्क (Elon Musk) को कुछ महीने पीछे छोड़कर दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बने बर्नार्ड अर्नाल्ट (Bernard Arnault) का नाम आपने भी सुना ही होगा. हो सकता है कि आप उनकी कंपनी के बारे में नहीं जानते हों. हालांकि उनकी कंपनी बेहद चर्चित है, खासकर दुनिया भर के रईसों और सेलेब्रिटीज के बीच उनकी कंपनी के प्रोडक्ट खासे लोकप्रिय हैं. हम बात कर रहे हैं फ्रांस की फैशन कंपनी एलवीएमएच (LVMH) की, जो पूरे यूरोप की भी सबसे बड़ी कंपनी है.
यूरोप की पहली ऐसी कंपनी
बर्नार्ड अनॉर्ल्ट की कंपनी एलवीएमएच के पास Louis Vuitton, Dior जैसे लग्जरी ब्रांड हैं. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, लग्जरी उत्पादों की तेज होती बिक्री से एलवीएमएच को भी फायदा हो रहा है और इस कारण एलवीएमएच यूरोप की पहली ऐसी कंपनी बन गई है, जिसकी वैल्यू 500 बिलियन डॉलर से ज्यादा है. कंपनी को चीन में अपने लग्जरी प्रोडक्ट्स की बढ़ी मांग और मजबूत होते यूरो से मदद मिली है.
इतनी है अर्नाल्ट की नेटवर्थ
एलवीएमएच ने हाल ही में एक और कीर्तिमान हासिल किया है. यह दो सप्ताह पहले ही दुनिया की 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों की लिस्ट में शामिल हुई है. कंपनी की वैल्यू में आई जबरदस्त तेजी के कारण ही बर्नार्ड अर्नाल्ट को दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति का पायदान हासिल हुआ है और उनकी नेटवर्थ लगातार बढ़ ही रही है. ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स के अनुसार, अर्नाल्ट की मौजूदा नेटवर्थ करीब 212 बिलियन डॉलर है.
यूरोप की सबसे प्रभावी कंपनी
एलवीएमएच को पहले Moet Hennessy Louis Vuitton नाम से जाना जाता था. पेरिस शेयर बाजार में सोमवार का कारोबार समाप्त होने के बाद कंपनी का शेयर 0.3 फीसदी मजबूत होकर नई ऊंचाई पर पहुंच गया. इसके साथ ही कंपनी की वैल्यू भी 500 बिलियन डॉलर के पार निकल गई. आपको बता दें कि फ्रांस और यूरोप के शेयर बाजारों में एलवीएमएच की वही हैसियत है, जो अमेरिकी शेयर बाजारों में टॉप टेक कंपनियों की है.
इस कारण भी मिल रही मदद
एलवीएमएच को लग्जरी उत्पादों की बिक्री बढ़ने के साथ-साथ डॉलर के मुकाबले यूरो के मजबूत होने से भी फायदा हो रहा है. यूरोपीय संघ की मुद्रा यूरो इस महीने डॉलर के मुकाबले एक दशक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई थी. दरअसल अमेरिकी अर्थव्यवस्था की अनिश्चितताएं और अमेरिकी सेंट्रल बैंक के द्वारा ब्याज दरों में कटौती करने की आशंका बढ़ने से डॉलर कमजोर पड़ रहा है.
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