मार्च में 32 महीने के टॉप पर पहुंचा कोर सेक्टर का प्रदर्शन, लो बेस इफेक्ट का मिला फायदा
कोर सेक्टर की ग्रोथ में बेस इफेक्ट के कारण मार्च में 32 महीने में सबसे अधिक 6.8 फीसदी बढ़त हुई. लेेकिन इससे उम्मीद से खराब प्रदर्शन माना जा रहा है. कोयला उत्पादन में भारी कमी आना सबसे निराशाजनक पहलू रहा.
मार्च में कोर सेक्टर का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा. इस दौरान इस सेक्टर के उद्योगों के उत्पादन में 6.8 फीसदी की बढ़ोतरी रही. कोर सेक्टर के आठ उद्योगों के उत्पादन में इस बढ़ोतरी को लो बेस का इफेक्ट का फायदा मिला है. लेकिन मार्च के उत्पादन में 6.8 फीसदी की बढ़ोतरी पिछले 32 महीने का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है.
लो बेस इफेक्ट का मिला फायदा
सरकार की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक बेस इफेक्ट की वजह से प्राकृतिक गैस, स्टील, सीमेंट और बिजली के क्षेत्र में उत्पादन में बढ़ोत्तरी देखने को मिली. पिछले साल मार्च में कोर सेक्टर के आठ प्रमुख उद्योगों - कोयला, क्रूड ऑयल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, फर्टिलाइजर्स, स्टील, सीमेंट और इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर के उत्पादन में 8.6 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी.
उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने के दौरान गैस सेक्टर के उत्पादन में 12.3 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली. इसी तरह स्टील सेक्टर के प्रोडक्शन में 23 फीसदी और सीमेंट सेक्टर के उत्पादन में 32.5 फीसदी एवं इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में 21.6 फीसदी की उछाल दर्ज की गई. कोयला, क्रूड ऑयल, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स और फर्टलाइजर सेग्मेंट में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई. वित्त वर्ष 2020-21 (अप्रैल-मार्च) के दौरान आठ कोर सेक्टर्स के उत्पादन में सात फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, वित्त वर्ष 2019-20 में इन आठ प्रमुख उद्योगों के उत्पादन में 0.4 फीसदी का उछाल देखने को मिला था.
रेटिंग एजेंसी इक्रा की प्रिंसिपल इकनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि कोर सेक्टर की ग्रोथ में बेस इफेक्ट के कारण मार्च में 32 महीने में सबसे अधिक 6.8 फीसदी बढ़ने के बावजूद बढ़ोतरी की रफ्तार हमारे 10 फीसदी के अनुमान से कम रही. कोयला उत्पादन में भारी कमी आना हैरान करता है.
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