LPG Prices: एलपीजी सिलेंडर की महंगाई मोदी सरकार और केंद्र में सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बनकर उभरता जा रहा है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव के जो एग्जिट पोल आए हैं वो इसी ओर इशारा कर रहे हैं. कर्नाटक चुनाव में विपक्षी दलों ने महंगाई और महंगे एलपीजी सिलेंडर को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की थी, और एग्जिट पोल की मानें तो उसमें उन्हें सफलता भी मिलती दिख रही है. कर्नाटक में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार का एलपीजी सिलेंडर का पूजा करना, उसकी आरती उतरना इसी ओर इशारा करता है.
महंगा रसोई गैस बन रहा चुनावी मुद्दा
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत एलपीजी सिलेंडर लेने वाले परिवारों को 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध करा रही है. जबकि एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1106 रुपये है. मध्य प्रदेश में छह महीने बाद विधानसभा चुनाव है लेकिन कांग्रेस अभी से सरकार बनने के बाद 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर देने का वादा कर रही है. कर्नाटक में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में सरकार बनने पर महिलाओं को गृह लक्ष्मी योजना के हर महिला को 2000 रुपये देने का वादा किया है जिससे बढ़ती महंगाई और महंगे एलपीजी सिलेंडर से उन्हें राहत दी जा सके. इससे साफ है कि विपक्ष ने महंगे रसोई गैस को लेकर केंद्र में सत्ता पर बैठी बीजेपी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. इस वर्ष के आखिर में छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने वाला है और जाहिर है महंगा रसोई गैस की इन राज्यों में भी चुनावी मुद्दा बन सकता है.
एलपीजी सिलेंडर की महंगाई ने डाला जेब पर डाका
2014 में केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले पूर्व की यूपीए सरकार हर परिवार को साल में नौ सब्सिडी वाले सिलेंडर दिया करती थी जिसकी कीमत 425 से 440 रुपये के बीच हुआ करती थी. अप्रैल 2014 में गैर-सब्सिडी एलपीजी सिलेंडर की कीमत 980 रुपये हुआ करती थी. लेकिन उसी एलपीजी सिलेंडर के लिए आम लोगों को अब 1100 से 1130 रुपये खर्च करने पड़े हैं. यानि 150 फीसदी ज्यादा. केवल पीएम उज्जवला योजना के लाभार्थियों को हर एलपीजी सिलेंडर पर सरकार 200 रुपये की सब्सिडी दे रही है जो मार्च 2024 तक जारी रहेगा. यानि उज्जवला योजना के लाभार्थियों को 900 रुपये एक एलपीजी सिलेंडर रिफिल कराने के लिए देना पड़ रहा है.
महंगे एलपीजी के बाद लोगों ने किया तौबा
सरकार ने बीते वर्ष 2022 में संसद को बताया था कि बीते पांच सालों में 4.13 करोड़ प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों ने एक भी एलपीजी सिलेंडर रिफिल नहीं करवाया है. 7.67 करोड़ प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के ऐसे लाभार्थी हैं जिन्होंने केवल एक एलपीजी सिलेंडर रिफिल कराया है. 2021-22 में कुल 30.53 करोड़ एक्टिव एलपीजी कस्टमर्स में से 2.11 घरेलू एलपीजी कस्टमर्स ने एक भी सिलेंडर रिफिल नहीं कराया है. 2 फरवरी 2023 को सरकार ने संसद को बताया कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत प्रति व्यक्ति एलपीजी सिलेंडर की खपत जो 2019-20 में 3.01 सिलेंडर थी वो 2021-22 में बढ़कर 3.68 हो गई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलपीजी के दामों में 300 फीसदी का उछाल आया है. लेकिन कस्टमर्स पर इसका पूरा भार नहीं डाला गया है.
विपक्ष महंगे एलपीजी को भूनाने की कोशिश में!
सरकार की इन दलीलों के बावजूद आम आदमी इस बात से परेशान है कि महंगे एलपीजी सिलेंडर ने उनके घर के बजट को बिगाड़ रखा है. वहीं विपक्ष को केंद्र सरकार को घेरने का बड़ा मुद्दा हाथ लगा हुआ है और आने वाले हर चुनाव में वो इसे भूनाने की कोशिश करेगा.
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