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LPG Cylinder Lifecycle: 5 सालों में एलपीजी सिलेंडर को लेकर हुई 4082 दुर्घटनाएं, जानें सिलेंडर की टेस्टिंग और बीमा कवर से जुड़े नियम

LPG Cylinder Update: गैस सिलेंडर रुल्स 2016 के मुताबिक हर सिलेंडर के फिटनेस की जांच करना बेहद जरुरी है. सिलेंडर की मैन्युफैक्चरिंग की तारीख से 10 साल बाद उसे रि-टेस्ट करने का नियम है.

LPG Cylinder Lifecycle: अगर आप घर में खाना पकाने के लिए एलपीजी सिलेंडर का इस्तेमाल करते हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद जरुरी है. पिछले पांच सालों में एलपीजी सिलेंडर के चलते देश में कुल 4082 दुर्घटनाएं हुई हैं. ऐसे में ये जानना बेहद जरुरी है कि आपके घर में आने वाले एलपीजी सिलेंडर का लाइफसाइकिल कितने समय का है. साथ ही कोई दुर्घटना होने पर बीमा का क्या प्रावधान है. 

संसद में एलपीजी सिलेंडर की सुरक्षा का उठा मामला 

लोकसभा में पेट्रोलियम मंत्री से एलपीजी सिलेंडर के सेफ्टी स्टैंडर्ड को लेकर सवाल पूछा गया था जिसमें सिलेंडर के औसतन लाइफ और औसतन रिसाइकिल करने की अवधि शामिल है. पेट्रोलियम मंत्री से ये भी पूछा गया कि बगैर रिसाइकिल किए कई वर्षों तक घरेलू एलपीजी सिलेंडर का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसके चलते सिलेंडर के फटने की घटनाएं सामने आई हैं और पिछले पांच वर्षों में कितने ऐसे सिलेंडर फटने की घटनाएं हुई है?  

एलपीजी सिलेंडर की BIS द्वारा टेस्टिंग 

इस प्रश्न पर पेट्रोलियम राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने अपने लिखित जवाब में कहा, एलपीजी सिलेंडर की मैन्युफैक्चरिंग इंडियन स्टैंडर्ड के तहत किया जाता है. सिलेंडर के हर बैच को डिस्पैच करने से पहले ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (Bureau of Indian Standards) द्वारा टेस्टिंग की जाती है. बीआईएस सर्टिफिकेट मिलने के बाद चीफ कंट्रोलर ऑफ एक्सप्लोसिव्स (CCoE) नागपुर या उसके प्रतिनिधि की ओर से सिलेंडर में एलपीजी फीलिंग के इस्तेमाल की इजाजत दी जाती है. 

10 बाद हर सिलेंडर की टेस्टिंग अनिवार्य 

पेट्रोलियम राज्यमंत्री ने बताया कि  गैस सिलेंडर रुल्स 2016 के मुताबिक हर सिलेंडर के फिटनेस की जांच करना बेहद जरुरी है. सिलेंडर की मैन्युफैक्चरिंग की तारीख से 10 साल बाद उसे री-टेस्ट किया जाता है. और इसके बाद हर पांच वर्ष पर टेस्टिंग किया जाना जरुरी है. पीईएसओ  (Petroleum & Explosive Safety Organisation) के नियमों के तहत सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सिलेंडर की टेस्टिंग की जाती है. 

एलपीजी सिलेंडर के दुर्घटना के ये हैं कारण 

रामेश्वर तेली ने बताया कि जिस सिलेंडर का टेस्टिंग किया जाना है उसे एलपीजी फीलिंग प्लांट में अलग से रखा जाता है और यूज करने से पहले उसकी टेस्टिंग की जाती है. जिस एलपीजी सिलेंडर की टेस्टिंग होनी है उसमें फीलिंग नहीं की जाती है और ना उसे डिस्पैच किया जाता है. उन्होंने बताया कि एलपीजी सिलेंडर को लेकर होने वाली दुर्घटना की कई वजहें हैं जिसमें सिलेंडर से लीकेज, घरेलू से गैर-घेरलू सिलेंडर में एलपीजी को ट्रांसफर करना, गैर-अप्रूवल इक्वीपमेंट का इस्तेमाल, कंज्यूमर के घर में गलत तरीके से इस्तेमाल, हॉसपाइप को समय समय पर नहीं बदला जाना, ओ-रिंग की विफलता, एलपीजी होस से लीकेज, गैस स्टोव से लीकेज और दूसरे कारणों के चलते ज्यादा गर्मी होने के चलते भी एलपीजी सिलेंडर फटने की वारदात हो सकती है. उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में 4082 एलपीजी सिलेंडर को लेकर दुर्घटनाएं हुई है.  

एलपीजी कस्टमर को मिलता है बीमा कवर 

पेट्रोलियम मंत्री से एलपीजी सिलेंडर से होने वाली दुर्घटना के चलते मुआवजा के प्रावधान को लेकर प्रश्न पूछा गया तो रामेश्वर तेली ने बताया कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMCs) पब्लिक लायबिलिटी पॉलिसी फॉर ऑयल इंडस्ट्री के तहत बीमा पॉलिसी लेती हैं जिसमें सभी एलपीजी कस्टमर जो ओएमसी के साथ रजिस्टर्ड हैं वे कवर होते हैं. इस पॉलिसी में ऑयल मार्केटिंग कंपनियां एलपीजी के चलते होने वाले दुर्घटना से होने वाले नुकसान की बीमा पॉलिसी के जरिए भरपाई करती हैं.  जिसमें पर्सनल एक्सीडेंट कवर में मृत्यु होने पर 6 लाख रुपये का कवर मिलता है. हर घटना पर 30 लाख रुपये के मेडिकल खर्च के कवर का प्रावधान है जिसमें 2 लाख रुपये प्रति व्यक्ति शामिल है. अगर कस्टमर के रजिस्टर्ड  संपत्ति को नुकसान होता है तो 2 लाख रुपये तक का कवर मिलता है.  

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