LPG Price Hike Impact: देश में 1 जून को एक बार फिर से रसोई गैस (Gas Cylinder) के दामों में वृद्धि हो सकती है. आशंका है कि इस बार घेरलू एलपीजी (Domestic LPG) के दाम 1100 रुपये को पार करने वाले हैं. ऐसे में आप 1 तारीख से पहले गैस बुक करवा कर कुछ बचत कर सकते हैं. फिलहाल देश की राजधानी दिल्ली में घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1003 रुपये, मुंबई में 1002.5 रुपये, कोलकाता में 1029 रुपये और चेन्नई में 1058 रुपये है.


कंपनियों (Oil Marketing Companies) ने मई में 2 बार घरेलू एलपीजी के दाम बढ़ाए थे. पहला रेट 7 मई को बढ़ाया गया. इस दिन 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर की कीमत में 50 रुपये की बढ़ोतरी हुई. फिर 19 मई को 3.5 रुपये की वृद्धि की गई. यानी 1 महीने में रसोई गैस पर कुल 53.5 रुपये बढ़ाए गए. वैश्विक बाजार में गैस की कीमतों को देखते हुए इसके 1 जून को फिर से बढ़ने का अनुमान है.


इतने थे कर्मशियल सिलेंडर दाम


1 मई को 19 किलो वाले कर्मशियल सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी हुई थी. दिल्ली में इसकी कीमत में 102 रुपये का इजाफा किया गया था. इसके बाद कर्मशियल सिलेंडर की कीमत राजधानी में 2355.5 रुपये हो गई थी. वहीं, 5 किलोग्राम के छोटे एलपीजी सिलेंडर की कीमत को बढ़ाकर 655 रुपये कर दिया गया था.


ऐसे तय होते हैं दाम


देश में एलपीजी गैस की कीमत इंपोर्ट पैरिटी प्राइस से तय होती है. इसे आईपीपी (IPP) भी कहा जाता है. क्योंकि भारत में गैस की अधिकांश आपूर्ति आयात (Import) पर आधारित है इसलिए आईपीपी का निर्धारण भी अंतर्राष्ट्रीय बाजार (International Market) की कीमतों के अनुसार ही होता है. भारत में एलपीजी का बेंचमार्क सऊदी अरामकों की एलपीजी की कीमत है. जिस कीमत पर दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी एलपीजी बेचती है उसी के आधार पर घरेलू बाजार (Domestic Market) में इसकी कीमत तय होती है. एलपीजी की कीमतों में केवल गैस की कीमत नहीं होती. इसमें कस्टम ड्यूटी, ढुलाई व इंश्योरेंस जैसे और भी फैक्टर शामिल होते हैं.


इन वजहों का भी पड़ता है असर


सबसे प्रमुख वजह तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गैस की कीमत है. हालांकि, एक कारण रुपये का डॉलर के मुकाबले कमजोर होना भी है. दरअसल, इस खरीद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डॉलर पर ही होती है और रुपये की कमजोरी से भारत को अधिक मूल्य चुकाना पड़ता है. इसके अलावा फिलहाल गैस की आपूर्ति इसकी मांग के अनुरुप नहीं हो पा रही है. यह भी गैस की कीमतों में वृद्धि का एक कारण है.


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