- महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में अमरावती में हजारों क्विंटल तुअर की बोरियां सरकारी खरीद केंद्रों के बाहर पड़ी हैं. किसानों को इंतजार था कि किसी तरह सरकार इस तुअर दाल को खरीद ले लेकिन 22 तारीख से सरकार ने तुअर खरीद बंद कर दी है.
- सरकार ने साथ ही ये ऐलान कर दिया है की 22 तारीख तक जिस किसान को टोकन मिला है, उसी की तुअर खरीदी जाएगी. सरकार के इस ऐलान से किसानों मे हडकंप मच गया है.
- सरकार किसानो से 5050 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तुअर खरीद रही थी. अब तक महाराष्ट्र सरकार ने करीब 4 लाख टन तुअर खरीद ली है.
- सरकार दलील दे रही है की महाराष्ट्र सरकार ने बाकी राज्यों से ज्यादा यानी करीब 45 फीसदी तुअर दाल खरीदी है.
लेकिन सरकार के इस फैसले से किसान आंदोलन पर उतारू हो गए हैं. फैसले से खफा किसानों ने लातूर के पास चाकूर और जलकोट गांवों मे तुअर जलाने का आंदोलन किया. लातूर जिले में भी हजारों क्विंटल तुअर सरकारी केंद्रो के बाहर खरीद का इंतजार कर रही है. किसानों का कहना है कि इससे पहले भी सरकारी केंद्रो पर बारदान नही होने से कई केंद्रो पर तुअर खरीदी बंद हो जाती थी और फिर किसानों को दूसरे केंद्रो के चक्कर काटने पड़ते थे. वहीं ट्रांसपोर्ट का खर्च बढ़ता था. किसान सरकारी बदइंतजामी से पहले से ही खफा थे और अब तो खरीदारी ही बंद हो गई है.
अमरावती के किसानों का कहना है कि वो 1-1.5 महीने से उनकी तुअर दाल खरीद का इंतजार कर रहे हैं. किसानों का आरोप है कि कई किसानों को तुअर बेचने के बाद अबतक भुगतान नहीं हुआ इसलिए कई किसान खेतों से खरीद केंद्र तक तुअर लाए ही नहीं. यही हालात मराठवाड़ा के बीड़ जिले के हैं. बीड़ के किसान मंडी के ये किसान अपनी तुअर बेचने के लिय आये हैं लेकिन तुअर खरीद बंद होने से तुअर से भरी ये बोरिया धूप से खराब होकर फटने लगी हैं. पहले खाली बोरियां नही होने से किसानो को यहां कई दिन रुकना पड़ा था.
दरअसल अच्छी बारिश से इस साल तुअर का बंपर उत्पादन हुआ है, सरकार भी दालों के उत्पादन को बढ़ावा मिले इसलिए किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तुअर खरीद रही है. लेकिन सरकारी बदइंतजामी से किसानों को कई दिनों तक खरीद केंद्रो पर ही रहना पड़ रहा है. बीड़ मे भरत अडाले नाम के इस किसान ने पिछले 8 दिनों से मंडी को ही अपना घर बना लिया है. इन मंडियों में किसानों के लिए ना खाने की सुविधा है न पानी की. किसान यहा गाडियों मे अपनी तुअर लेकर आए हैं जिसका भाड़ा दिन ब दिन बढ़ता रहता है जिसे देना भी किसानों के लिए मुमकिन नहीं है. वहीं अधिकारी कह रहे हैं की अब तुअर की खरीदारी सरकार के फैसले के बाद ही शुरु होगी.
दूसरी तरफ सरकार के खरीद बंद करने से बाजार में तुअर के दाम गिरने लगे हैं. सरकारी दाम 5050 है तो बाजार में व्यापारी करीब 4000 के दाम से किसानों से तुअर खरीद रहे हैं. यानी किसान अगर बाजार में तुअर बेचता है तो उसे प्रति क्विंटल 1000 रुपये का ऩुकसान है, इसलिए अब किसान नेता भी सरकार के खिलाफ आंदोलन की धमकिया दे रहें हैं.
इस साल देश में तुअर का उत्पादन 22.14 मिलियन टन हुआ है जो पिछले साल 16.35 मिलियन टन था, यानी करीब 34 फीसदी ज्यादा उत्पादन. अगर हम पिछले कुछ सालों की बात करें तो
खास बात ये भी है की सरकार ने पहली बार दालों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया है और पहली बार सरकार दालों के दाम ना बढे इसलिए 2 मिलियन टन का स्टॉक पहले से कर रही है. उसी के तहत ये खरीदारी चल रही थी. दालों के इस साल के ज्यादा उत्पादन के लिए केवल अच्छी बारिश जिम्म्दार नही हैं. पिछले साल दालों के दामों ने जो डबल सेंचुरी लगाई थी उसकी वजह से अच्छे दामों की उम्मीद में किसानों ने भी दालों की बुआई ज्यादा की लेकिन अब सरकारी खरीदारी बंद होने से दालों का मुद्दा महाराष्ट्र में गरमा गया है.