Mahindra & Mahindra: देश की दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra & Mahindra) ने उन आरोपों का खंडन किया है जिसमें कहा गया शेयर बाजार के रेगुलेटर सेबी (SEBI) से प्रीफ्रेंशियल ट्रीटमेंट हासिल करने के लिए कंपनी ने सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) के पति धवल बुच (Daval Buch) को पेमेंट किया है. कंपनी ने रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा, हमने कभी भी सेबी से प्रीफ्रेंशियल ट्रीटमेंट देने को नहीं कहा है और uc कॉरपोरेट गवर्नेंस के उच्च मापदंडों को मानते हैं. कंपनी ने अपने ऊपर लगाये गए आरोपों को गलत और भ्रामक करार दिया है. 


इससे पहले देश की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने ये आरोप लगाया था कि माधबी पुरी बुच के पति को महिंद्रा एंड महिंद्रा से 2019 और 2021 के बीच 4.78 करोड़ रुपये मिले हैं. ये वो अवधि है जब सेबी ने महिंद्रा एंड महिंद्रा के खिलाफ चार आर्डर जारी किए थे. स्टॉक एक्सचेंजों के पास रेगुलेटरी फाइलिंग में कंपनी ने कांग्रेस के इन आरोपों पर अपना जवाब दिया है. 


कंपनी ने बताया कि, महिंद्रा ग्रुप ने 2019 में धवल बुच को सप्लाई चेन और सोर्सिंग में उनके एक्सपर्टीज के लिए यूनिलीवर के ग्लोबल चीफ प्रॉक्योरमेंट ऑफिसर पद से उनके रिटायरमेंट के बाद हायर किया था. कंपनी ने बताया कि उन्होंने अपना ज्यादा समय सप्लाई चेन कंसलटिंग कंपनी ब्रिस्टलकोन (Bristlecone) में गुजारा. धवल बुच अभी भी ब्रिस्टलकोन के बोर्ड में शामिल हैं. महिंद्रा एंड महिंद्रा के मुताबिक माधबी पुरी बुच के सेबी चेयरपर्सन बनने से तीन साल पहले धवल बुच ने महिंद्रा ग्रुप को ज्वाइन किया था. कंपनी के मुताबिक उन्हें दिया जाने वाला कम्पंसेशन यूनिलीवर में रहते हुए उनके ग्लोबल अनुभवों को ध्यान में रखते हुए,उनके सप्लाई चेन के एक्सपर्ट होने के नाते और उनके मैनेजमेंट क्षमता के चलते दिया गया है. 


महिंद्रा एंड महिंद्रा ने बताया कि सेबी के आर्डर को लेकर जो आरोप लगाये हैं वो कोई मायने नहीं रखता है क्योंकि सेबी से मिले पांच में से तीन आर्डर में कंपनी या उसकी सब्सिडियरी से जुड़ा नहीं है. एक राइट्स इश्यू से जुड़ा है जिसके लिए सेबी की मंजूरी की जरूरत नहीं है. एक आर्डर मार्च 2018 में आया था जो धवल बुच के महिंद्रा ग्रुप से जुड़ने से पहले का है.     


ये भी पढ़ें 


Adani Airport: केन्या के कोर्ट ने नैरोबी एयरपोर्ट को अडानी ग्रुप को सौंपने के सरकार के फैसले पर लगाई रोक