'मैं हूं ना' का ये एक्टर आज बिजनेस वर्ल्ड का है बेताज बादशाह; रणबीर, प्रभास जैसे कई एक्टरों से हैं अमीर
Success Story: 'मैं हूं ना' फेम इस एक्टर को भले ही फिल्मी दुनिया में सफलता नहीं मिली, लेकिन बिजनेस की दुनिया में इन्होंने खूब नाम कमाया और आज अरबों की दौलत के मालिक हैं.
Success Story: साल 2004 में आई फिल्म 'मैं हूं ना' का जिक्र आते ही सबसे पहले शाहरूख खान का नाम दिमाग में आता है. इस फिल्म ने एक और कलाकार को रातोंरात स्टार बना दिया था और वह थे जायद खान, जिन्होंने फराह खान के निर्देशन में बनी इस फिल्म में शाहरूख खान के भाई का रोल निभाया था. हालांकि, यह फिल्म जाएद के करियर की इकलौती हिट फिल्म रही और धीरे-धीरे उन्होंने बॉलीवुड को टाटा-बाय-बाय भी कह दिया.
कई सफल अभिनेताओं को जायद दे रहे टक्कर
फिल्मी दुनिया में भले ही जायद की किस्मत का सितारा न चमका हो, लेकिन बिजनेस की दुनिया के वह बेताज बादशाह हैं. ET Now की एक रिपोर्ट के अनुसार, जायद खान की कुल संपत्ति 1,500 करोड़ रुपये की है. एक इंटरव्यू में जब जाएद से इसे लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इसे हंसी में उड़ा दी, लेकिन अगर रिपोर्ट सच है तो जायद नेट एसेट के मामले में बॉलीवुड और साउथ फिल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े दिग्गज जैसे रणबीर कपूर (550 करोड़ रुपये), प्रभास (400 करोड़ रुपये), 'पुष्पा 2' फेम अल्लू अर्जुन (350 करोड़ रुपये) और राम चरण (1300 करोड़ रुपये) को आराम से टक्कर दे सकते हैं.
जायद के पास कैसे पहुंची इतनी दौलत?
अब सवाल यह आता है कि जायद के पास इतना पैसा आया कहां से? जायद ने साल 2005 से 2012 तक 10 और फिल्मों में काम किया, जिनमें से सभी बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से पिटीं. लाइव मिंट की खबर के मुताबिक इन असफलताओं से परेशान हुए बिना जायद ने अपनी बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री का फायदा उठाया और कई स्टार्टअप कंपनियों और बिजनेस में पैसे लगाए और आज वह एक सफल बिजनेसमैन हैं.
फाइनेंशियल एडवाइस को लेकर क्या बोले जायद खान
एक इंटरव्यू में जब हिंदुस्तान टाइम्स ने उनसे फाइनेंशियल एडवाइस को लेकर सवाल किया, तो जायद ने कहा कि 'पैर उतने ही पसारने चाहिए जितनी चादर है.' एक कहावत है, 'अगर आप फेरारी खरीद सकते हैं, तो मर्सिडीज खरीदें और अगर आप मर्सिडीज खरीद सकते हैं, तो फिएट खरीदें.'
जायद ने कहा था कि सोशल मीडिया के इस जमाने में लोग खुद को दूसरों से बेहतर दिखाने की होड़ में लगे रहते हैं. सोशल मीडिया पर इंसान की जो ईमेज दिखती है वह शायद काफी हद तक सच न भी हो. कई बार खुद को बढ़-चढ़कर दिखाने की चाहत में लोग उधारी करने लगते हैं और ईएमआई के दलदल में फंसकर रह जाते हैं. अपनी बेफकूफी भरी करतूतों को सुधारने के लिए फिर से बेवकूफी करते हैं और यह सिलसिला चलता रहता है.
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