(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Income Tax Rule Change: देखते-देखते गुजर गए 4 महीने, इन 10 बदलावों को देखकर करें आगे का टैक्ससेविंग प्लान!
Income Tax System Changes from CY: चालू वित्त वर्ष के 4 महीने से ज्यादा बीत चुके हैं. अगर आप भी टैक्स बचाने की योजना बना रहे हैं तो अब और देरी न करें....
फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के 4 महीने से ज्यादा समय बीत चुके हैं. अगर आपने अब तक इस साल के लिए टैक्स प्लानिंग नहीं की है तो अब देरी न करें. टैक्स प्लानिंग करने से पहले इस फाइनेंशियल ईयर से इनकम टैक्स व्यवस्था में हुए बड़े बदलावों को जरूर जान लीजिए. ये टैक्स प्लानिंग में आपके काम आएंगे और पैसे बचाने में आपकी मदद करेंगे.
इस कारण किए गए हैं बदलाव
सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम को आकर्षक बनाने के लिए फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के बजट में कई बदलाव किए हैं. पहले उनकी बात करते हैं. अगर आप इस फाइनेंशियल ईयर से ओल्ड या न्यू टैक्स रिजीम में से किसी एक को नहीं चुनते हैं तो नई टैक्स व्यवस्था डिफॉल्ट रूप से लागू हो जाएगी. अगर आपको एग्जम्प्शन और डिडक्शन वाली पुरानी टैक्स व्यवस्था में बने रहना है तो उसे चुनना होगा.
नई टैक्स व्यवस्था में सेक्शन 87A के तहत मिलने वाली टैक्स रिबेट की लिमिट बढ़ा दी गई है. अगर आप नई व्यवस्था चुनते हैं तो 7.27 लाख रुपये तक की सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. पुरानी कर व्यवस्था में 5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है.
बढ़ गई छूट की बेसिक लिमिट
नई कर व्यवस्था में बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट बढ़ाई गई है और टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया है. अब 0 से 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है. वहीं 3 से 6 लाख रुपये की इनकम पर 5 फीसदी, 6 से 9 लाख की आय पर 10 फीसदी, 9 से 12 लाख की आय पर 15 फीसदी, 12 से 15 लाख पर 20 फीसदी और 15 लाख से ऊपर की सालाना कमाई पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा.
सैलरीड व्यक्ति को स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा अब नई कर व्यवस्था में भी मिलेगा. इसके तहत करदाता को 50,000 रुपये का डिडक्शन मिलेगा. 15 लाख रुपये या उससे ज्यादा कमाने वाले को स्टैंडर्ड डिडक्शन के रूप में 52,500 रुपये का फायदा होगा.
लीव को कैश कराने पर ज्यादा लाभ
गैर-सरकारी कर्मचारियों के लिए लीव एनकैशमेंट पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 25 लाख रुपये की गई है. पहले यह तीन लाख रुपये ही थी. इससे रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ते वक्त कर्मचारी पर टैक्स का बोझ कम पड़ेगा.
नई कर व्यवस्था में हाई सरचार्ज को 37 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी किया गया है. ये दरें 5 करोड़ रुपये से ऊपर की इनकम पर लागू होंगी. सरचार्ज में कमी से मोटा कमाने वालों पर टैक्स का बोझ कम होगा.
म्यूचुअल फंड वालों के लिए बदलाव
डेट म्यूचुअल फंड पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन बेनेफिट और इंडेक्सेशन बेनेफिट को खत्म कर दिया गया है. एक अप्रैल से डेट म्यूचुअल फंड में किए निवेश को रिडीम करने पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा. यह नियम उन डेट फंड पर लागू है, जिनका घरेलू इक्विटी में निवेश 35 फीसदी से कम है. इसका असर गोल्ड और इंटरनेशनल म्यूचुअल फंड स्कीम पर भी होगा. 31 मार्च 2023 से पहले के निवेश पर LTCG का फायदा मिलता रहेगा. इसमें निवेश के 3 साल बाद रिडीम करने पर इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ 20 फीसदी टैक्स लगेगा. होल्डिंग पीरियड 3 साल से कम होने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेम टैक्स (STCG) लगेगा.
महंगी पॉलिसी पड़ेगी और महंगी
फाइनेंशियल ईयर 2023-24 से महंगी बीमा पॉलिसी पर टैक्स का लगाया गया है. एक अप्रैल 2023 या उसके बाद खरीदी गई जीवन बीमा पॉलिसी या पॉलिसियों का कुल वार्षिक प्रीमियम अगर 5 लाख रुपये से अधिक है, तो मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम टैक्सेबल होगी. यह नियम यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) पर लागू नहीं है.
नये घर से टैक्स बचाने वालों को झटका
सरकार ने घर खरीदकर कैपिटल गेन टैक्स बचाने वालों को झटका दिया है. सेक्शन 54 और सेक्शन 54F के तहत, 10 करोड़ रुपए तक के कैपिटल गेन पर ही टैक्स छूट मिलेगी. अगर कोई व्यक्ति प्रॉपर्टी या शेयर जैसे कैपिटल एसेट के मुनाफे से कोई रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदता है तो मुनाफे पर टैक्स छूट की सीमा सिर्फ 10 करोड़ रुपये होगी. इसके ऊपर जितना कैपिटल गेन होगा उस पर टैक्स लगेगा.
होम लोन पर नहीं मिलेगा डबल लाभ
इसके अलावा, होम लोन के ब्याज पर डबल डिडक्शन का फायदा भी रोका गया है. बजट में स्पष्ट किया गया था कि सेक्शन 24 के तहत अगर डिडक्शन क्लेम किया गया है तो उसे मकान की कॉस्ट ऑफ पर्चेज का हिस्सा नहीं माना जाएगा. कई लोग सेक्शन 24 के तहत होम लोन के ब्याज पर सालाना 2 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम करते हैं. मकान बेचने पर इस इंटरेस्ट कॉस्ट को कॉस्ट ऑफ पर्चेज में दिखाकर चैप्टर VI A के तहत डिडक्शन लेते थे. इससे प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ जाती है और कैपिटल गेन कम हो जाता है. इस तरह होम लोन के ब्याज पर दो बार डिडक्शन लिया जा रहा था.
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