UPI Survey: भारत में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (एकीकृत भुगतान इंटरफेस) यानी यूपीआई का चलन इतना ज्यादा हो गया है कि लोग छोटे-छोटे पेमेंट करने के लिए भी यूपीआई ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं. बड़े ट्रांजेक्शन हों या बड़े मनी ट्रांसफर के काम-जनता की सबसे पहली पसंद यूपीआई ही होती है. इसका कारण है कि ये चार्ज फ्री यानी शुल्क मुक्त है, बेहद आसान है और बेतहाशा फास्ट तो हैं ही. इन सब फायदों के चलते ही यूपीआई ट्रांजेक्शन में भारत दुनिया का सिरमौर बनकर उभर रहा है. हालांकि इस पेमेंट इंटरफेस का इस्तेमाल आगे चलकर कम हो सकता है- ऐसा एक सर्वे में निकलकर सामने आया है.
क्यों कम हो जाएगा UPI का इस्तेमाल-जानिए सर्वे का नतीजा
पॉपुलर मोबाइल पेमेंट सिस्टम यूपीआई पर अगर लेनदेन शुल्क यानी ट्रांजेक्शन चार्ज लगाया गया, तो ज्यादातर यूजर्स इसका इस्तेमाल बंद कर देंगे. लोकलसर्किल के एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है. सर्वे में शामिल 73 फीसदी लोगों ने इशारा दिया कि अगर यूपीआई पेमेंट पर चार्ज लागू किया जाता है तो वे यूपीआई का इस्तेमाल बंद कर देंगे. लोकलसर्किल के सर्वे में काफी बड़ी संख्या में लोगों ने यह दावा भी किया कि उन्होंने पिछले एक साल में एक या इससे ज्यादा बार ये पाया है कि उनके यूपीआई पेमेंट पर ट्रांजेक्शन चार्ज लगा है.
लोकलसर्किल ने 34 हजार लोगों से बात के बाद जारी किया सर्वे
लोकलसर्किल ने रविवार को कहा कि सर्वे में 364 से ज्यादा जिलों के 34,000 से अधिक लोगों ने अपनी राय दी. इनमें 67 फीसदी पुरुष और 33 फीसदी महिलाएं थीं. इस सर्वे से पता चला कि करीब 50 फीसदी यूपीआई यूजर्स हर महीने 10 से ज्यादा ट्रांजेक्शन इस पेमेंट मोड के जरिए करते हैं. सर्वे में ये भी कहा गया है कि सिर्फ 23 फीसदी यूपीआई यूजर्स पेमेंट पर ट्रांजेक्शन चार्ज देने के लिए तैयार हैं.
अगस्त 2023 में उठी यूपीआई पेमेंट पर चार्ज की बात-वित्त मंत्रालय आया था सामने
भारतीय रिजर्व बैंक ने अगस्त 2022 में एक डिस्कशन पेपर जारी किया था. इसमें अलग-अलग रकम के आधार पर यूपीआई पेमेंट पर एक चार्ज लगाने का प्रस्ताव रखा गया था. हालांकि, बाद में वित्त मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी किया कि यूपीआई लेनदेन पर फीस या चार्ज लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
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