Manmohan Singh Death News: मनमोहन सिंह या पीएम मोदी, GDP, विदेसी कर्ज और मुद्रास्फीति से समझिए कब क्या रहे आंकड़े
Manmohan Singh Death: मनमोहन सरकार (2004-2014) के दौरान औसत जीडीपी विकास दर 6.8% रही. वहीं, मोदी सरकार (2014-2022) में औसत विकास दर, 5.25% रही.
Manmohan Singh Death News: देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) का 92 वर्ष की उम्र निधन हो गया. वह AIMS के इमरजेंसी विभाग में भर्ती थे. डॉक्टर मनमोहन सिंह देश के दो बार प्रधानमंत्री रहने के साथ-साथ एक बार वित्त मंत्री भी रहे थे.
चलिए, आज इस खबर में जानते हैं कि उनके कार्यकाल में और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में जीडीपी विकास दर, मुद्रास्फीति, वित्तीय घाटा, विदेशी कर्ज और विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े कैसे रहे हैं. यह तुलना मनमोहन सरकार (2004-2014) और मोदी सरकार (2014-2022) तक के आंकड़ों पर आधारित है.
जीडीपी विकास दर से समझिए
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मनमोहन सरकार (2004-2014) के दौरान औसत जीडीपी विकास दर 6.8% रही. वहीं, मोदी सरकार (2014-2022) में औसत विकास दर, 5.25% रही. जबकि, कोविड महामारी के प्रभाव को हटाने पर यह दर 6.84% तक पहुंचती है, जो मनमोहन सरकार के बराबर है.
मुद्रास्फीति से समझिए
मनमोहन सरकार के कार्यकाल में मुद्रास्फीति दर 7.5% रही. जबकि, मोदी सरकार ने इसे औसतन 5% तक बनाए रखा.
वित्तीय घाटा और चालू खाता घाटा (CAD)
यूपीए के कार्यकाल में औसत वित्तीय घाटा 4.3% और चालू खाता घाटा 2.4% रहा. जबकि, 2012-2013 में चालू खाता घाटा 4.8% तक पहुंच गया. मोदी सरकार ने वित्तीय घाटे को नियंत्रित करते हुए इसे औसतन 3.7% पर बनाए रखा. चालू खाता घाटा भी 1.6% पर स्थिर किया गया.
विदेशी कर्ज के नजरिए से देखिए
भारत का विदेशी कर्ज मार्च 2014 में 440.6 बिलियन डॉलर था, जो मोदी सरकार 2023 के मार्च में 613 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था.
व्यापार करने की सरलता
मनमोहन सरकार के दौरान व्यापार सुगमता सूचकांक में भारत की रैंक 132 से गिरकर 134 हो गई. मोदी सरकार ने इस क्षेत्र में सुधार किया, और भारत 2022 तक 63वें स्थान पर पहुंच गया. यह अलग-अलग व्यापारिक सुधारों और डिजिटलीकरण के प्रयासों का नतीजा था.
विदेशी मुद्रा भंडार से समझिए
मनमोहन सरकार के अंत में यानी 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 304.2 बिलियन डॉलर था, जबकि 2023 मोदी सरकार में यह 595.98 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया.
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