देश में फरवरी में मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों में गिरावट दर्ज की गई है. कुछ राज्यों में नए कोरोना संक्रमण की वजह से मैन्यूफैक्चरिंग में गिरावट आई है.मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों को बताने वाला आईएचएस मार्किट इंडिया का परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स यानी पीएमआई फरवरी को 57.5 पर रहा. जबकि जनवरी में यह 57.7 पर था. इस इंडेक्स में गिरावट से पता चलता है कि मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियां धीमी हुई हैं. दरअसल 50 से ज्यादा का अंक मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों में विस्तार को दिखाता है. और 50 से कम इसमें गिरावट जाहिर करता है. हालांकि 57.7 से 57.5 पर आने का मतलब की मैन्यूफैक्चरिंग की मौजूदा रफ्तार धीमी हुई है. इस वजह से रोजगार दर में भी गिरावट दिख रही है.


नए कोरोना संक्रमणों ने बढ़ाई चिंता


हालांकि पीएमआई के मुताबिक फरवरी में इनपुट इन्वेंट्री बढ़ी है. इसका मतलब यह है कि कंपनियों को आगे प्रोडक्शन बढ़ने की उम्मीद है और वे इनुपट जुटा रही हैं. परचेजिंग एक्टिविटी इसलिए बढ़ी है कि मैनेजर्स को आगे प्रोडक्शन बढ़ने की उम्मीद है. दरअसल कोरोना वैक्सीनेशन शुरू होने से इकोनॉमी में एक नया कॉन्फिडेंस दिखा है. जनवरी में पीएमआई का बढ़ना इसी को दिखाता है. हालांकि कुछ राज्यों में वायरस के नए संक्रमण की वजह से लगे लॉकडाउन ने चिंता बढ़ा दी है.


इंडस्ट्री पर बढ़ती लागतों का दबाव


आईएचएस मार्किट की इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पोलयाना डी लीमा का कहना है कि पिछले तीन महीनों को मिला कर देखें तो कारोबारी माहौल में उत्साह दिख रहा है. सर्वे के मुताबिक अच्छी मांग और नए ऑर्डर में इजाफे ने पीएमआई को बढ़त पर बरकरार रखा है. देश की अर्थव्यवस्था ने पिछले कुछ दिनों में पहली बार गिरावट के दौर से बाहर निकल कर अक्टूबर-दिसंबर, 2020 ( 2019-20 में इस अवधि की तुलना में ) में 0.4 फीसदी की बढ़त दर्ज की है. हालांकि कई इंडस्ट्री लागत बढ़ने जैसी समस्या झेल रही है. केमिकल, मेटल्स, प्लास्टिक और टेक्सटाइल इंडस्ट्री में कच्चे माल की लागतें बढ़ रही हैं.


घर खरीदने वालों के लिए खुशखबरी, SBI ने होम लोन ब्याज दर में की कटौती


महंगे डीजल ने माल भाड़ा बढ़ाया, छोटे ट्रांसपोर्टरों के सामने कैश का संकट