भारत को सर्विस इंडस्ट्री के हब के तौर पर जाना जाता है. सर्विस सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देता है. हालांकि सर्विस सेक्टर के साथ-साथ अब मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में भी तेज ग्रोथ देखी जा रही है. देश के जीवीए (ग्रॉस वैल्यू ऐडेड) में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान 28 फीसदी है. मैन्युफैक्चरिंग थीम में ऐसे कई सेक्टर हैं, जो आने वाले सालों में तेजी से विकास कर सकते हैं. उनमें ऑटोमोबाइल, डिफेंस, माइनिंग, कैपिटल गुड्स, रेलवे, टेक्सटाइल, केमिकल, पेट्रोलियम और गैस शामिल हैं.
मजबूत ग्रोथ के लिए तैयार हैं ये फंड
देश में तेज शहरीकरण हो रहा है, जो कंस्ट्रक्शन सेक्टर के लिए सकारात्मक फैक्टर है. आयात को कम करने और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. मेक इन इंडिया, परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई), मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स के लिए गति शक्ति, रक्षा निर्यात आदि जैसे कदम मैन्युफैक्च्रिंग को आगे ले जा सकते हैं. मैन्युफैक्चरिंग का सकल स्थिर पूंजी निर्माण वित्त वर्ष 2012 में जीडीपी के 6.2 फीसदी के बराबर हो गया. यह वित्त वर्ष 2011 में 5.5 फीसदी था. इक्विटी का नेट डेट मार्च 2020 में 62 फीसदी था, जो मार्च 2023 में 44 फीसदी पर आ गया. इस आधार पर कहा जा सकता है कि मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां मजबूत ग्रोथ के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं.
ठोस रिटर्न देने का रहा है रिकॉर्ड
एक निवेशक के रूप में इस थीम को अपनाना म्यूचुअल फंड रूट के लिए सबसे अच्छा है. खास तौर पर आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल मैन्युफैक्चरिंग फंड के हिसाब से देखें तो ट्रैक रिकॉर्ड शानदार दिखता है. इस फंड की शुरुआत अक्टूबर 2018 में हुई थी. उसके बाद से पिछले पांच सालों में फंड ने लगातार अच्छा रिटर्न दिया है. एक, तीन और पांच साल के आधार पर फंड ने क्रमशः 35.3 फीसदी, 34.7 फीसदी और 19.7 फीसदी का रिटर्न दिया है. मतलब फंड ने एसएंडपी बीएसई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग टीआरआई से 2.6 से 9.6 प्रतिशत अंक बेहतर परफॉर्मेंस दिया है. ये रिटर्न सभी कैटेगरी के इक्विटी फंडों में सबसे अच्छे हैं. वहीं, आदित्य बिरला सन लाइफ मैन्यूफैक्चरिंग फंड ने 1 साल में 18.95 प्रतिशत और 5 साल में 13.55 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
पिछले 5 सालों में एसआईपी (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के रिटर्न (एक्सआईआरआर) को देखें, तो मैन्युफैक्चरिंग फंड ने 25.3 फीसदी का ठोस रिटर्न दिया है. रिटर्न में कांटीन्यूटी भी रही है. अक्टूबर 2018 से अक्टूबर 2023 तक लगातार तीन साल के आधार पर, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल मैन्युफैक्चरिंग ने 24.6 फीसदी का औसत रिटर्न दिया है. इसके अलावा, तीन साल के रोलिंग आधार पर फंड ने लगभग 93.1 फीसदी मौकों पर 18 फीसदी से अधिक रिटर्न दिया है.
मैन्युफैक्चरिंग फंड ऐसे करते हैं निवेश
मैन्युफैक्चरिंग फंड चक्रीय और रक्षात्मक दोनों सेक्टरों में निवेश के साथ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के एक क्रॉस-सेक्शन में निवेश कर रहे हैं. इस तरह के फंड निवेश के मिले-जुले तरीके को फॉलो करते है, जिसमें वैल्यू और ग्रोथ दोनों स्टाइल का समावेश होता है. ये फंड सभी तरह के बाजार पूंजीकरणों यानी लार्ज, मिड और स्मॉल कैप में निवेश कर अपने पोर्टफोलियो के लिए मल्टी-कैप अप्रोच अपनाते हैं. बेहतरीन परिणाम के लिए टॉप-डाउन और बॉटम-अप स्टॉक सेलेक्शन मेथड के मिले-जुले तरीके को अपनाया जाता है.
इन कंपनियों पर फंड का फोकस
अभी मैन्युफैक्चरिंग फंड बेंचमार्क इंडेक्स की तुलना में ऑटो एन्सिलरी, कैपिटल गुड्स और सीमेंट पर अधिक फोकस करते हैं. कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स, मेटल एंड माइनिंग ऑयल एंड गैस पर इनका फोकस कम रहता है. ये फार्मा और हेल्थकेयर पर न्यूट्रल हैं. सेक्टर में वेटेज को बैलेंस आउटलुक के साथ लिया जाता है और इसे कभी भी ज्यादा नहीं किया गया है. मैन्युफैक्चरिंग फंड एक डायवर्सिफिकेशन एजेंट के रूप में आपके पोर्टफोलियो में एक और अच्छा एडिशन हो सकते हैं. आप अपने वित्तीय सलाहकार या म्यूचुअल फंड वितरक की सलाह के आधार पर इसमें एलोकेशन पर विचार कर सकते हैं.
डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.
ये भी पढ़ें: दूसरे दिन भी बड़ी गिरावट की राह पर बाजार, खुलते ही 450 अंक से ज्यादा गिरा सेंसेक्स