Manufacturing PMI Data of April 2024: भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर काफी समय से अच्छी ग्रोथ हासिल कर रहा है और अप्रैल में ये थोड़ी धीमी गति से बढ़ा है लेकिन इसका प्रदर्शन ठीक रहा है. अप्रैल में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई घटकर 58.8 हो गया जो मार्च में 59.1 पर था. मार्च में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 16 साल के उच्चतम स्तर पर आ गई थी लेकिन अप्रैल का आंकड़ा इससे मामूली कम रहा है.
परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स का डेटा
भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की एक्टिविटीज अप्रैल में धीमी रही, लेकिन फिर भी ऑपरेशनल कंडीशन में साढ़े तीन साल में दूसरा सबसे तेज सुधार दर्ज किया गया. इसे बढ़ती मांग का समर्थन मिला जिसके चलते ये आंकड़ा आया है. एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक या परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अप्रैल में घटकर 58.8 हो गया जो मार्च में 59.1 था. इसे मौसमी रूप से समायोजित किया गया है. पीएमआई के तहत 50 से ऊपर का सूचकांक मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है. एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल ने करीब 400 कंपनियों के एक समूह में क्रय प्रबंधकों को भेजे गए सवालों के जवाबों के आधार पर तैयार किया है.
क्या कहते हैं अर्थशास्त्री
एचएसबीसी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि मजबूत मांग की वजह से उत्पादन में और बढ़ोतरी देखी गई. हालांकि मार्च की तुलना में यह इजाफा थोड़ा धीमा रहा है. प्रांजुल भंडारी ने कहा कि कीमत की बात करें तो कच्चे माल और लेबर की ऊंची लागत के कारण कच्चे माल की लागत में मामूली बढ़ोतरी हुई है, लेकिन महंगाई दर ऐतिहासिक औसत से नीचे बनी हुई है. हालांकि उन्होंने कहा कि कंपनियों ने उत्पादन शुल्क बढ़ाकर इस बढ़ोतरी का बोझ कंज्यूमर्स पर डाल दिया, क्योंकि मांग मजबूत बनी रही जिसके चलते मुनाफे में सुधार दर्ज किया गया है.
देश में देखी जा रही मजबूत डिमांड
रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय मैन्यूफैक्चरर्स ने अप्रैल में घरेलू और बाहरी ग्राहकों से अपने माल की मजबूत डिमांड की जानकारी दी. कुल नए कॉन्ट्रेक्ट में तेजी से इजाफा हुआ है और एक्सपेंशन की गति 2021 की शुरुआत के बाद से दूसरी सबसे मजबूत रही. इसके अलावा भी अप्रैल में नए एक्सपोर्ट कॉन्ट्रेक्ट्स में खासी बढ़ोतरी हुई. वैसे तो कुल बिक्री की तुलना में यह बढ़ोतरी धीमी रही, जिससे पता चलता है कि घरेलू बाजार इस बढ़ोतरी के पीछे का मुख्य चालक बना रहा. मेटीरियल और लेबर कॉस्ट में बढ़ोतरी की खबरों के बीच भारत के मैन्यूफैक्चर्रस ने अप्रैल में अपने सेलिंग प्राइस को भी बढ़ाया है.
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