Manufacturing PMI January 2023: नए साल की शुरुआत विनिर्माण क्षेत्र के लिए ठीक नहीं हुई है. एसएंडपी ग्लोबल (S&P Global) के एक हालिया सर्वे के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र के पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स यानी पीएमआई (PMI) ने 2023 की धीमी शुरुआत की. इसका कारण आउटपुट और बिक्री दोनों की ग्रोथ में गिरावट आना है. सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, भारत का पीएमआई जनवरी 2023 में गिरकर 55.4 पर आ गया, जो एक महीने पहले यानी दिसंबर 2022 में 57.8 पर था.


हालांकि राहत की बात यह है कि अभी भी पीएमआई ग्रोथ जोन में बना हुआ है. जनवरी 2023 लगातार 19वां ऐसा महीना रहा, जब पीएमआई ग्रोथ जोन में रहा. अगर पीएमआई 50 से ऊपर होता है, तो माना जाता है कि ग्रोथ हुई है. वहीं 50 से कम पीएमआई से संकुचन का पता चलता है.


एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलीजेंस की इकोनॉमिक्स एसोसिएट डाइरेक्टर पॉलिएना डी लीमा (Pollyanna De Lima) ने कहा, चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही समाप्त होने वाली है. ऐसे में ग्रोथ की रफ्तार कुछ कम पड़ने के बाद भी सेक्टर कम से कम आगे बढ़ने के मोड में बना हुआ है, यह अच्छी बात है. बढ़ते पेंडिंग ऑर्डर और अतिरिक्त इनपुट की खरीदारी से इस बात के संकेत मिलते हैं कि कंपनियां आने वाले महीनों में उत्पादन बढ़ाना जारी रखेंगी. सप्लाई चेन के मोर्चे पर कम चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से पता चलता है कि कंपनियां आसानी से संवेदनशील इनपुट हासिल करने में और अपने भंडार को फिर से तैयार करने में सक्षम रहीं.


केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट, एनर्जी, मेटल और पैकेजिंग की लागत बढ़ने की खबरों के बीच जनवरी में कंपनियों का इनपुट कॉस्ट बढ़ा. महंगाई की दर तीन महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई, लेकिन इसके बाद भी लंबी अवधि के औसत से काफी नीचे रही. विनिर्माताओं ने इनपुट से लेकर माल की ढुलाई और कर्मचारियों को लेकर बढ़ी लागत का बोझ ग्राहकों पर डाला, और इस कारण जनवरी में बिक्री की दरें बढ़ाई गईं.


डी लीमा ने आगे कहा, पीएमआई के ताजा आंकड़ों में कमजोरी का एक मुख्य एरिया निर्यात का रहा. भले ही विनिर्माताओं को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से नए ऑर्डर मिले, लेकिन यह बढ़ोतरी 10 महीने के निचले स्तर की तुलना में धीमी रही.


आंकड़ों के अनुसार, साल के बाकी बचे महीनों के लिए कारोबार की संभावनाओं का सूचकांक छह महीने के निचले स्तर पर आ गया. वहीं रोजगार के नए मौके 50 से कुछ ही ऊपर रहे और इस तरह यह ऐसे निचले स्तर पर पहुंच गया, जो इससे पहले पिछले साल अगस्त में देखने को मिला था. ये सूचकांक आने वाले समय आरबीआई (RBI) के रुख पर असर डाल सकते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक इस महीने रेपो रेट में आखिरी बार बढ़ोतरी (Repo Rate Hike) कर सकता है और रेपो रेट को 25 बेसिस प्वाइंट बढ़ाने के बाद वह इकोनॉमिक ग्रोथ को सपोर्ट करने पर फोकस कर सकता है.