कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से बढ़ते संकट ने आर्थिक गतिविधियों को धीमा करना शुरू कर दिया है. महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक समेत दक्षिण के कुछ राज्यों में लॉकडाउन ने मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों की रफ्तार कम कर दी है. इससे मैन्यूफैक्चरिंग में गिरावट और बेरोजगारी बढ़ने की आशंका तेज हो गई है. 


मांग में गिरावट से घट सकती है मैन्यूफैक्चरिंग की रफ्तार 


आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स  में अभी कोई खास गिरावट नहीं आई है. अप्रैल में यह 55.5 पर था, जबकि मार्च में 55.4 पर. लेकिन जानकारों का मानना है मई और जून में मैन्यूफैक्चरिंग में गिरावट के साफ संकेत दिख रहे हैं. आने वाले समय में कोविड संक्रमण तेजी से बढ़ेगा और जाहिर इससे मांग में गिरावट आएगी. जबकि हालत यह है कि कंपनियां पहले ही ग्लोबल लेवल पर कीमतों के बढ़ने से मांग में कमी की सामना कर रही हैं. हाल में किए गए कुछ सर्वे में कहा गया है मांग घटने से कंपनियां अपना प्रोडक्शन घटा सकती हैं. हाल ही में देश में कॉमर्शियल  व्हेकिल बनाने वाली प्रमुख कंपनी अशोक लेलैंड ने मांग की से प्रोडक्शन कम करने का ऐलान किया है. कंपनी अपने संयंत्रों में कुछ दिनों तक काम बंद रखेगी.


रोजगार के मोर्चे पर पैदा होगी दिक्कत 


मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में संकट से बुरे हालात रोजगार के मोर्चे पर पैदा होंगे. क्योंकि सर्विस सेक्टर में रोजगार की स्थिति पहले ही खराब है. कोरोना की पहली लहर खत्म होने के बाद मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर ने अपनी गति पकड़ी थी लेकिन कई औद्योगिक राज्यों में कोरोना की दूसरी लहर ने इससे जुड़ी गतिविधियों को धीमा कर दिया है. निर्यात मार्केट में भी दिक्कतें आ रही है. इस वजह से भी मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सुस्ती आने की आशंका है. लेकिन इसका सबसा बड़ा खमियाजा रोजगार सेक्टर को भुगतना पड़ सकता है.


Corona Effect: अप्रैल में 75 लाख नौकरियां खत्म हुईं, बेरोजगारी चार महीने के टॉप पर 


अशोक लेलैंड ने कहा- मांग में कमी, गाड़ियों के प्रोडक्शन में करेंगे कटौती