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Market Outlook: जानें अगले हफ्ते कैसी रहेगी शेयर बाजार की चाल, कौन से स्टॉक्स करवा सकते हैं मोटी कमाई

Stock Market Outlook: भारतीय शेयर बाजार के लिए इस समय बुलिश नजरिया है और सेंसेक्स-निफ्टी अपने ऑलटाइम हाई को पार करने का संकेत दिखा रहे हैं. ऐसे बाजार में आपके लिए कहां हैं कमाई के मौके-यहां समझें.

Stock Market Outlook: शेयर बाजार की चाल को समझना हरेक के बस की बात नहीं होती पर कुछ एक्सपर्ट ऐसे होते हैं जो इसके टेक्नीकल और फंडामेंटल दोनों पहलू पर अपनी सटीक राय से हैरान कर देते हैं. बाजार की चाल आगे कैसे रहने वाली है इस पर CNI रिसर्च के सीएमडी किशोर ओस्तवाल ने अपनी राय दी है और  शेयर बाजार के आगे के आउटलुक पर अपना अनुमान दिया है. 

CNI Research के किशोर ओस्तवाल की राय
किशोर ओस्तवाल का कहना है कि जब भी कोई ये कहता है कि निफ्टी 15200 के लेवल तक जाएगा मुझे हैरानी होती है. बाजार के लिए बोल्ड स्टेटमेंट देने का मतलब ये नहीं होता कि 3000 अंकों की गिरावट का अनुमान दे दिया जाए. हालांकि बाजार की तेजी को हम एंजॉय कर पाएं उससे पहले ट्रेडर्स ने शॉर्ट ट्रेड करके बाजार को नीचे खींचने की कोशिश की लेकिन निफ्टी जब 18500 को पार करने में इस हफ्ते सफल नहीं हो पाया तो शॉर्ट करने की सलाह दी जा रही है. हालांकि ये सच है कि बाजार में जब ज्यादा बुलिश नजरिये वाले ना हों तो मार्केट बियरिश नहीं हो सकता है. जहां तक पीई और अन्य बातों का सवाल है मुझे नहीं लगता है कि बाजार में और गिरावट आएगी. 

अगस्त 2022 की रिपोर्ट से कर सकते हैं तुलना
अगर आपको मेरी अगस्त की रिपोर्ट याद है तो उस समय निफ्टी 15200 पर था और पीई सिर्फ 15-15 पर था. मैंने उसी समय कहा था कि स्टडी के आधार पर PE के 25 के लेवल पर जाने के आसार हैं, वो भी 6 महीने के अंदर. और अब 3 महीने बीत चुके हैं और हम 21.89 के PE पर आ चुके हैं और ये 25 के औसत से थोड़ा दूर है. बीते सालों में PE के 28.7 का लेवल क्रॉस करने के बाद बाजार में गिरावट आई है. अब मुझे बाजार में ज्यादा गिरावट की आशंका नहीं लगती क्योंकि ना तो निफ्टी और ना ही डाओ जोंस रिस्क जोन में हैं. अगर फिर से ये का लेवल 28.7 तक जाता है तो बाजार में बड़ी आसानी से 24000 का लेवल देखे जाने की उम्मीद  बना सकते हैं वो भी ऐतिहासिक मैकेनिज्म को दोहाराए बिना.

आइए अब देखते हैं कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैसे 8 सालों के सफर के दौरान भारत को व्यापार जगत का एक बड़ा प्लेयर बना दिया है. 

हाल ही में G20 Summit में पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत कभी छोटा नहीं सोचता है और हां ये बिलकुल सच है. उन्होंने कभी छोटा नहीं सोचा चाहे वो बालाकोट हो या कोई और मौका. वो दिन चले गए जब भारतीयों को गिनती में नहीं समझा जाता था. अब हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील के कंज्यूमर हैं. भारी उद्योग मंत्रालय ने ये बात रिकॉर्ड में कही है कि अब हम एक साल में स्टील कैपिसिटी को दोगुना कर रहे हैं और ये 154 मिलियन टन से 300 मिलियन टन पर जा रही है. ये इस बात का संकेतक है कि मेटल में वर्टिकल और होरिजॉन्टल दोनों तरह का विस्तार हो रहा है. (ये भी एक कारण है जिससे मैं मेटल पर बुलिश हूं).

मैं भारत की प्रगति को कुछ डेटा के माध्यम से यहां बताना चाहूंगा- ध्यान दें- 

देश ने विकास किया है और बाजार ने भी विकास किया है. एफपीआई इंवेस्टमेंट केवल दो दशक में 8 लाख करोड़ रुपये से 47 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है. वहीं डीआईआई एयूएम भी 12 लाख करोड़ (साल 2014) से 39.50 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है (ये आंकड़ा 31 अक्टूबर 2022 तक का है). एक साल पहले के 10 करोड़ अकाउंट से बढ़कर म्यूचुअल फंड फोलियो 13.64 करोड़ खातों पर आ गए हैं. बीएसई निवेशक कुछ सालों के भीतर ही 13.64 करोड़ पर आ गए हैं जो कि 3 करोड़ से यहां तक की विशाल बढ़त है. ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिमाग का ही आइडिया था जिसने देश को झटकों को झेलना सिखाया है. साल 2014 से लेकर अब तक एफपीआई के निवेश का झटका झेलने के लिए 
कई सारे प्रयत्न किए गए जिनका नतीजा अब देखने को मिल रहा है. मुझे विश्वास है कि वो दिन दूर नहीं है जब डीआईआई एयूएम का आंकड़ा एफपीआई एयूएम से ज्यादा होगा.

एफपीआई निवेश पहुंचा लाइफटाइम हाई पर
एफपीआई निवेश लाइफ टाइम हाई पर तब पहुंचा था जब नरेंद्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री चुने गए थे यानी साल 2014 में. इसके बाद अप्रैल 2014 से मार्च 2015 तक यानी 12 महीनों में एफपीआई ने 1.10 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया. इतने विशाल निवेश के बाद निफ्टी में जबरदस्त बूम आया और ये इस दौरान 6200 से 9000 तक पहुंच गया. ध्यान देने वाली बात ये है कि जबसे साल 1991 में विदेशियों के निवेश के लिए भारतीय शेयर बाजार खुला, तब से लेकर ये भारतीय बाजारों में एफपीआई के द्वारा किया गया सबसे ज्यादा विदेशी निवेश था.  

इसके बाद कोविड-19 की बात करें तो बाजार के 60,000 तक का लेवल देखा गया और बाजार टूटे भी, लेकिन ये कुछ ही समय के लिए था. मई 2020 में एफपीआई दोबारा घरेलू बाजार में निवेश के लिए उतरे और इस समय उन्होंने रिकॉर्ड 2.89 लाख करोड़ रुपये का निवेश (38 अरब डॉलर) मई 2020 से सितंबर 2021 के 16 महीनों के दौरान किया.  

भारत की मजबूती का संकेतक
यहां ये बात ध्यान देने योग्य है कि पिछले 8 सालों में बाजार का साइज अप्रत्याशित रूप से इतना बढ़ गया है कि अब भारत को कोई इग्नोर नहीं कर सकता है. साल 2014 में 17 अरब डॉलर की रिकॉर्ड खरीदारी से लेकर साल 2021 के दौरान 38 अरब डॉलर की अतिरिक्त खरीदारी से बाजार में अथाह पैसा आया है. जैसा कि आप जानते हैं कि एफपीआई वो निर्दयी प्राणी हैं जो किसी भी बाजार को बना और बिगाड़ सकते हैं. सितंबर 2021 के दौरान एफपीआई ने भारतीय बाजारों की गहराई नापने का फैसला किया. ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के न्यू इंडिया सिस्टम में विकसित किए गए घरेलू बाजार के लिए एक कड़ा और सच्चा टेस्ट था. इसमें सिर्फ 9 महीनों के दौरान यानी अक्टूबर 2021 से जुलाई 2022 तक एफपीआई ने 2.81 लाख करोड़ रुपये (37 अरब डॉलर) की बिकवाली की. ये वो समय था जब हमने युद्ध, महंगाई, ब्याज दरों के बढ़ने का सिलसिला और भी कई कठिनाइयां देखीं. हालांकि इसमें निफ्टी की गिरावट देखें तो वो 1900 पॉइंट की रही जो 11 फीसदी कही जाएगी (17100 से 15200 तक नीचे आया). अब इसका मतलब देखें तो ऐसा बाजार जिसने 2021-22 के दौरान 38 अरब डॉलर की खरीदारी देखी उसमें केवल 9 महीनों में पूरे 37 अरब डॉलर की बिकवाली हो जाए तो इसका साफ अर्थ है कि न्यू इंडिया के रूप में एक ऐसा नवोदय हो चुका है जो वैश्विक मंच पर मजबूती से खड़ा है.

9 महीनों की लगातार बिकवाली के बाद लिवाल बने एफपीआई
बाजार की गहरी और तेज गिरावट के बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों की खरीदारी जारी रही. अब जुलाई 2022 में जाकर एफपीआई फिर से बुलिश हुए हैं और तब से लेकर अब 15 नवंबर 2022 तक यानी 3 महीनों के दौरान एफपीआई ने 97000 करोड़ रुपये (12 अरब डॉलर) की खरीदारी कर ली है. हालांकि अगर बाजार का डेटा देखें तो अगस्त 2022 में एफपीआई एयूएम 47.94 लाख करोड़ रुपये का था जो अब नवंबर 2022 में भी 47.97 लाख करोड़ रुपये तक ही आया है. इसका मतलब है कि इन 3 महीनों में भले ही आईटी और बैंकिंग सेक्टर ने ऊंचाई हासिल कर ली है और ये बाजार की तेजी का कुल 53 फीसदी हिस्सा है, उसके बावजूद उनका एयूएम सपाट रहा है.

बिना हिचकिचाहट के खरीदें बाजार में वैल्यू स्टॉक्स
ये 2014 से 2022 के सफर के दौरान निफ्टी का 6200 से 18400 तक का लेवल आ जाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन और नीतियों का नतीजा हैं. G20 बैठक अगली बार भारत में होनी है और अब भारत एक नई अर्थव्यवस्था के रूप में उभर कर सामने आया है जिसे पूरी दुनिया देख रही है. अगर भारत इस साल 7 फीसदी की जीडीपी हासिल कर लेता है (जिसका मुझे विश्वास है) तो निफ्टी को पहले 22000 और फिर 24000 तक जाने से कोई रोक नहीं सकता है. लिहाजा अगर आप ट्रेडर हैं तो सारी बेकार की बातों को परे रखकर गिरावट पर खरीदारी की रणनीति बनाएं और माइक्रो कैप को बिना किसी हिचकिचाहट के खरीदें.

शेयरों पर हमारी राय
हमने एसबीआई का शेयर तब रिकमंड किया था जब वो 140 रुपये पर था और अब ये 600 रुपये पर है, हम इसमें निवेश कम कर रहे हैं. ऐसा ही हम बैंक ऑफ बड़ौदा, करूर वैश्य बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक वगैरह के साथ कर रहे हैं. हमने रेमंड को भी 140 रुपये पर लेने की सिफारिश की थी और देखिए अब ये 1400 रुपये पर है तो हम इसमें एक्सपोजर कम कर रहे हैं. 

हमारी रणनीति समान है-जो स्टॉक बेहद चल चुके हैं उनमें प्रॉफिट बुक करें और नई खरीदारी ना करें. इसके बजाए न्यू एज स्टॉक्स में निवेश करें जो कि भारत का भविष्य हैं- जैसे कि- एमके एक्जिम, इंटीग्रा इंजीनियरिंग, आरडीबी रसायन, मेटल कोटिंग्स, आंचल इस्पात और आकार ऑटो. आकार ऑटो दशकों में एक बार आने वाला स्टॉक है जो कि हमारी जमना ऑटो के 200 करोड़ रुपये के मार्केट कैप की रिसर्च के समान है-जो अब 4500 करोड़ रुपये का है. 
 
Jayaswal Nrco के शेयर पर भी ध्यान दिया जा सकता है जो माइनिंग सेक्टर में अच्छा कैंडीडेट है और इसमें 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा का रेवेन्यू जेनरेट हो रहा है.

आटे के दाम यूएसए और सिंगापुर में दोगुने से ज्यादा हो चुके हैं और भारतीय गेहूं की इंडस्ट्री में 60 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है-लिहाजा दो शेयर ऐसे हैं जो आने वाले समय में बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं. ये हैं सुनील एग्रो और GTV ENGINEEIRNG. दोनों का फूड बिजनेस में अच्छा एक्सपोजर है और खासतौर पर व्हीट डेरिवेटिव्स में ये अच्छा स्थान रखते हैं.

Disclaimer: यहां बताए गए बाजार के लेवल और शेयर्स CNI Research के शोध वाले शेयर्स हैं. निवेश करने से पहले अपने निवेश सलाहकार की सलाह अवश्य लें. किसी भी तरह के नुकसान के लिए ABPLive.com जिम्मेदार नहीं है.

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