सोने के बढ़ते दाम के समय में बेहतरीन विकल्प है ईटीएफ!
बाजार की स्थिति को देखते हुए निवेशकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. निवेश के लिए वे मजबूत और बेहतर विकल्प की तलाश में जुट गए हैं. ऐसे ईटीएफ में निवेश एक बेहतर माध्यम के तौर पर देखा जा रहा है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया के बाजार का बुरा हाल है. ऐसे में निवेशक परेशान हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे कहां निवेश करें. गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) को निवेश का एक बेहतर विकल्प माना जा रहा है. ईटीएफ को पेपर गोल्ड भी कहा जाता है. अभी तक की स्थिति को देखते हुए कहा जा रहा है कि बाजार में गिरावट का असर सोने पर ज्यादा नहीं हुआ है. संभावना जताई जा रही है कि बाजार से कोरोनावायरस का डर समाप्त होते ही सोना फिर से मजबूत स्थिति में आ जाएगा.
क्या होता है ईटीएफ
ईटीएफ को शेयर की तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के नगद बाजार में खरीदा और बेचा जा सकता है. खास बात ये है कि इसमें कोई न्यूनतम लॉट साइज नहीं होता है. पेपर गोल्ड की एक यूनिट एक ग्राम सोने के बराबर होती है.
पेपर गोल्ड यानि ईटीएफ के माध्यम से निवेशक इलेक्ट्रॉनिक तकनीक से सोना खरीद और बेच सकते हैं और आर्बिटेज गेन हासिल कर सकते हैं. पेपर गोल्ड का चलन भारत में 2007 से है. यह एनएसई और बीएसई में रेगुलेटेड इंस्ट्रूमेंट्स हैं. ईटीएफ को कई म्यूचुअल फंड स्कीम्स के जरिए खरीद सकते हैं.
पेपर गोल्ड को खरीदने के लिए कुछ विशेष करने की जरूरत नहीं पड़ती है. इसके लिए डीमैट खाता खोलना पड़ता है. जिसमें एनएसई पर मौजूद पेपर गोल्ड के यूनिट ले सकते हैं और इसके बराबर की राशि डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक अकाउंट से कट जाएगी.
प्रक्रिया पूरी होने के दो दिन बाद ही ईटीएफ अकाउंट में दिखाई देने लगते हैं. ईटीएफ की कीमत पूरी तरह से पारदर्शी होती है. जिस कारण इसमें किसी भी तरह के धोखे की संभावना नहीं होती है. वहीं शुद्धता की भी पूरी गारंटी रहती है.
ईटीएफ में 99.5 प्रतिशत शुद्धता की गारंटी होती है. ईटीएफ सोना बेचने या खरीदने में ट्रेडर्स को सिर्फ ब्रोकरेज ही देना पड़ता है. इस रखने में भी किसी तरह का कोई जोखिम नहीं होता है. पेपर गोल्ड अकाउंट में होता है जिसके लिए सिर्फ वार्षिक शुल्क अदा करना पड़ता है. चोरी जैसे डर से भी निजात मिलती है.
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