नई दिल्ली: नैचुरल गैस की कीमतों में 14 फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती हैं. सूत्रों के मुताबिक सरकार ने गैस की कीमत अगले 6 महीने तक के लिए 3.50 डॉलर प्रति मिलियन मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट तक बढ़ाने का फैसला किया है. इससे घरेलू इस्तेमाल में लाई जाने वाली गैस और ऑटोमोबाइल में इस्तेमाल होने वाली सीएनजी गैस के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है.


सूत्रों ने कहा कि संशोधित कीमतों की घोषणा 28 सितंबर को हो सकती है. घरेलू गैस की नयी दर आने वाली पहली अक्तूबर से छह महीने के लिए होगी. यह अक्तूबर, 2015 से मार्च, 2016 की अवधि के भावों के बाद सबसे ऊंची दर होगी. उस दौरान भाव 3.82 डॉलर प्रति इकाई था. जानकार सूत्रों ने कहा कि प्राकृतिक गैस के ज्यादातर घरेलू उत्पादकों को अभी 3.06 डॉलर प्रति यूनिट (एमएमबीटीयू) की कीमत मिल रही है. अक्तूबर में यह करीब 14 प्रतिशत बढ़ाकर 3.5 डॉलर प्रति यूनिट की जा सकती है.


प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ने से तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और रिलायंस इंडस्ट्रीज की आमदनी बढ़ेगी. हालांकि इससे सीएनजी के दाम भी बढ़ जाएंगे. साथ ही इससे यूरिया और बिजली उत्पादन की लागत में भी इजाफा होगा. इससे पहले अप्रैल-सितंबर, 2018 के लिए प्राकृतिक गैस का दाम बढ़ाकर 3.06 डॉलर प्रति इकाई किया गया था. इससे पिछले छह महीने के दौरान यह 2.89 डॉलर प्रति यूनिट था. यह करीब तीन साल में प्राकृतिक गैस मूल्य में दूसरी बढ़त थी.


इस साल की शुरूआत में ही सरकार ने घरेलू इस्तेमाल में होने वाली नैचुरल गैस की कीमत में 6 फीसदी के हिसाब से 3.06 डॉलर प्रति मिलियन मीट्रिक थर्मल यूनिट तक बढ़ा दी थी. जो 6 महीने के लिए अप्रैल से सितंबर 2018 तक लागू की गई हैं. वहीं ये संशोधित कीमते सरकार के फॉर्मूलों पर आधारित हैं.


आम आदमी की जेब पर फिर पड़ सकता है असर


15 फीसदी की बढ़ोतरी वाकई में आम आदमी के जेब पर बड़ा असर डालेगी. साथ ही नैचुरल गैस की कीमतों में भी बढ़ोतरी की संभावनाएं और मजबूत होती नजर आ रही हैं. जिससे पीएनजी और सीएनजी की कीमतों मे वृद्धी हो सकती है. क्योंकि रिटेलर्स और खाद निर्माताओं जो कि नैचुरल गैस को फीडस्टॉक के तौर पर इस्तेमाल करते हैं उनके ऊपर मार्जिन को मेनटेन करने का दबाव बढ़ेगा. बिजली निर्माता कंपनिया नैचुरल गैस का आयात भी करती हैं जिसकी वजह से उनको मार्जिन में थोड़ी राहत मिलेगी क्योंकि वे एलएनजी के मिश्रण को बढ़ावा देंगे. लेकिन यह उनके इंटरनेशनल ओपन मार्केट में चल रहे दामों पर निर्भर करता है.


2014 में सरकार ने घरेलू गैस के उत्पादन में लिया था फैसला


सरकार ने 2014 में एक फैसला लिया था जिसके तहत डॉमेस्टिक एरिया में नैचुरल गैस के उत्पादन की कीमतें निर्धारित करने को मंजूरी देने के साथ-साथ यूके (हैनरी हब), यूके (नेशनल बैलेंसिंग प्वाइंट), कैनडा (अल्बर्टा) और रूस की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव के बाद इसे रिवाइस किये जाने की भी बात कही थी.


ओएनजीसी और ऑयल इंडिया मार्केटिंग कंपनियों के मुनाफे को बढ़ावा देने के लिए नैचुरल गैस की कीमतों में नई संभावित वृद्धि देखी गई है. हाल ही में जेफरीज की एक रिपोर्ट में सामने आया कि गैस कारोबार का योगदान रिवेन्यू और ऑपरेशनल फ्रंट के मुकाबले कम है. लेकिन 1 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू 10 फीसदी ओएनजीसी और ऑयल इंडिया के शेयर्स में बढ़ावा दे सकता है.


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