Medical Bills For India Pharma Industry: देश में फार्मा सेक्टर (Pharma Sector) से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. भारतीय फार्मा सेक्टर (India Pharma Industry) की दवा कंपनियां अब दवाई की कीमतों में इजाफा करने पर विचार बना रही है. अगर ऐसा हुआ तो देश की जनता पर महंगाई की मार पड़ने वाली है. दवाइयों को बनाने के लिए लगने वाले कच्चे माल की कीमतें काफी बढ़ गई हैं. जिसके बाद भारत का फार्मा उद्योग (Pharma Industry) इन दवाइयों पर पहले की तुलना में पैसा बढ़ा सकता है. जानिए क्या है नया अपडेट...
100 प्रतिशत से ज्यादा हुई बढ़ोतरी
टीओआई के मुताबिक, एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स (एपीआई) का कहना है कि, देश में दवा उपभोक्ताओं के लिए चिकित्सा बिल बढ़कर मिलने वाला है. इस समय भारत का फार्मा उद्योग कच्चे माल की उच्च कीमतों का सामना कर रहा है. फार्मा उद्योग को देश में आवश्यक दवाओं के लिए लगने वाले कच्चे माल को खरीदने के लिए 100 फीसदी से ज्यादा खर्च सहन करना पड़ रहा है. हालांकि यह कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से पहले यह कीमतें कम हुआ करती थी.
दवाओं के मामले में चीन पर निर्भर भारत
देश में एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल पर काफी तेजी देखी जा रही है. सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स में सुधार के बाद भी कच्चे माल की बढ़ती कीमतों ने फार्मा उद्योग की परेशानी को बढ़ा दिया है. चीन से आयातित एज़िथ्रोमाइसिन और एमोक्सिसिलिन सहित प्रमुख एंटीबायोटिक दवाओं की कीमतें बढ़ गई हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ये ऐसे उत्पाद भी हैं जहां भारत चीन पर पूरी तरह से निर्भर है. इसके विपरीत, विटामिन बी और डी सहित अधिकांश विटामिन से जुड़ी दवाओं को चीन से आयात किया जाता है.
इन दवाओं के बढ़े दाम
कोरोना महामारी में बुखार और दर्द के लिए इस्तेमाल होने वाली पेरासिटामोल दवा, एंटीबायोटिक मेरोपेनेम का जमकर इस्तेमाल हुआ था. साथ ही मधुमेह रोधी मेटफॉर्मिन जैसी कुछ दवाओं की एपीआई कीमतों में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी जा रही है. भारत का फार्मा बाजार में एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. पिछले 2-3 सालो से चीन में तालाबंदी के कारण एपीआई की कीमतें बढ़ गई हैं.