Medicine Price Hike: अब बुखार से ठंडी हो जाएगी आपकी जेब, महंगा होने वाला है इन बीमारियों का इलाज
Medicine Price Hike: 1 अप्रैल से बुखार, दिल की बीमारियों, एंटीबायोटिक आदि कई तरह की आवश्यक दवाओं के दाम में बढ़ोतरी होने जा रही है. ऐसे में इसका असर सीधा ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा.
Medicine Price Hike: आम लोगों को 1 अप्रैल से महंगाई का एक और झटका लगने वाला है. अब ग्राहकों को दवाओं के लिए ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी. 1 अप्रैल, 2023 से पेन किलर्स से लेकर एंटीबायोटिक और बुखार आदि की दवाओं के दाम में 12 फीसदी तक इजाफा होने (Medicine Price Hike) जा रहा है. सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में बदलाव के बाद इन दवाओं के दाम में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है.
12 फीसदी तक महंगी हो जाएंगी दवाएं
सरकार के इस फैसले का आम लोगों को जीवन पर सीधा असर पड़ेगा. पहले से ही महंगाई से परेशान जनता के लिए यह एक और बड़ा झटका है. दवाओं के दाम तय करने वाले नियामक नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने इस बारे में बताया है कि देश में थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) में बड़ा बदलाव आया है. ऐसे में इसका असर दवाओं के दाम पर पड़ा है और इस कारण कई कॉमन दवाओं की कीमतों में 12.12 फीसदी तक बढ़ोतरी होने जा रही है.
गौरतलब है कि दवा निर्माता कंपनियां लंबे वक्त से बढ़ती महंगाई को देखते हुए दवाओं के दाम को बढ़ाने की मांग कर रही हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि NPPA के इस फैसले का सीधा असर लोगों के मेडिकल बिल (Medical Bill) पर पड़ेगा.
800 से अधिक दवाइयों के बढ़ेंगे दाम
इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार कुल 800 से अधिक आवश्यक दवाओं के दाम में इजाफा किया गया है. इसमें पेनकिलर (Pain Killers Medicine Price Hike) , एंटीबायोटिक्स और दिल की बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं शामिल हैं. इससे पहले पिछले साल NPPA ने WPI को देखते हुए दवाओं के दाम में 10.7 फीसदी का इजाफा किया था.
कैसे तय होती है दवाओं की कीमत-
दवाओं की कीमतों में ड्रग नियामक यानी नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) के द्वारा हर वित्त वर्ष की शुरुआत यानी 1 अप्रैल को संशोधन किया जाता है. ये दाम पिछले साल के होलसेल प्राइज इंडेक्स यानी WPI के आधार पर ही तय होते हैं. दवा के दाम को तय करने के लिए ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 के क्लॉज 16 के नियम को फॉलो करता है. इसके आधार पर ही हर नये वित्त वर्ष की शुरुआत में दवा की नई कीमतें लागू की जाती हैं.
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