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मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम की प्रक्रिया समझना चाहते हैं तो यहां है 'स्टेप बाई स्टेप गाइड'

Health Insurance Claim: मेडिकल इंश्योरेंस स्कीम जो पूरी तरह अस्पताल के खर्चों को वहन करती हो और आपकी सेविंग्स को खत्म ना करती हो, वही सही होगी और किसी मेडिकल इमरजेंसी में काम आती है.

Health Insurance Claim: मेडिकल इमरजेंसी मरीजों के साथ-साथ उनके परिवार के लिए भी तनावपूर्ण और जबरदस्त परेशान करने वाली समस्या साबित हो सकती है. इसलिए ऐसी अप्रत्याशित स्थितियों के दौरान वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सही स्वास्थ्य बीमा योजना होना महत्वपूर्ण है. एक अच्छी मेडिकल इंश्योरेंस स्कीम के जरिए, आपको अस्पताल के बिलों का पेमेंट करने के लिए अपनी सेविंग्स को कम नहीं करना पड़ेगा. हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम खरीदते समय, पेश किए जाने वाले फायदे और बीमाकर्ता के क्लेम सैटलमेंट प्रोसेस की निपटान प्रक्रिया को समझना जरूरी है. यह ज्ञानकारी आपको एक सही फैसला लेने में मदद करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि आप किसी भी मेडिकल इमरजेंसी के मामले में पूरी तरह से सुरक्षित हैं.

हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम दो तरह के होते हैं- कैशलेस और रीइंबर्समेंट क्लेम. कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस के जरिए आपके हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के मुताबिक इंश्योरेर सीधा अस्पताल के बिल को सैटल कर सकते हैं. इस तरह के क्लेम केवल उन्हीं बीमारियों के इलाज के लिए नेटवर्क अस्पतालों में मिल सकते हैं जिन्हें बीमा कंपनी मुहैया कराती है. इसका सीधा सा मतलब है कि आपको पहले खुद हॉस्पिटल बिल का पेमेंट नहीं करना होगा. वहीं रीइंबर्समेंट के जरिए बाद में इंश्योरेंस प्रोवाइडर के पास रीइंबर्समेंट के पास क्लेम को फाइल करना होगा. इसके बाद बीमाकर्ता कंपनी आपके मेडिकल इंश्योरेंस प्लान के मुताबिक इलाज के खर्च की लागत रीइंबर्स कर देगी यानी आपको अदा कर देगी.

हालांकि अगर आप नॉन-नेटवर्क हॉस्पिटल में इलाज कराते हैं तो रीइंबर्समेंट क्लेम फाइल किए जा सकते हैं. मेडिकल रीइंबर्समेंट क्लेम करने के लिए आपको मेडिकल रीइंसबर्समेंट फॉर्म को भरना होगा और इसके साथ सारे हॉस्पिटल बिल्स और जरूरी दस्तावेज मुहैया कराने होंगे. इसके अलावा ये भी जरूरी है कि आपको कोई शिकायत होने की स्थिति में मेडिकल रीइंबर्समेंट इनकम टैक्स नियमों के बारे में जानकारी हो. 

ये भी जानना जरूरी है कि जहां नेटवर्क हॉस्पिटल्स पेशेंट के इलाज के लिए कैशलेस क्लेम मुहैया कराते हैं वहीं नॉन-नेटवर्क हॉस्पिटल आपको रीइंबर्समेंट क्लेम के जरिए भी कवरेज प्रदान कराते हैं. अगर आपको मेडिकल रीइंबर्समेंट प्रोसेस के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करनी है तो यहां आपको इसके बारे में सारी सूचना मिल जाएगी. जानिए कौन सी जरूरी जानकारी आपके पास होनी चाहिए-

मेडिकल रीइंबर्समेंट नियमों को पता करना है- यहां साधारण प्रोसेस से जानें

किसी भी मेडिकल इमरजेंसी के दौरान अगर आप इंश्योरेर के नेटवर्क हॉस्पिटल्स में मेडिकल अटेंशन चाहते हैं तो आपको रीइंबर्समेंट क्लेम प्रोसेस को आगे बढ़ाना होगा. हालांकि अगर आप नेटवर्क कवरेज हॉस्पिटल के तहत इलाज कराते हैं तो कैशलेस क्लेम का ऑप्शन चुन सकते हैं. यहां बताए गए कुछ तथ्य और नियम अगर आप ध्यान रखेंगे तो आपको क्लेम सेटलमेंट प्रोसेस में आसानी होगी.

आपके लिए ये काम आसान बनाने के लिए हमने एक संपूर्ण लिस्ट तैयार की है जो मेडिकल रीइंबर्समेंट नियमों के मुताबिक आपको क्लेम सेटलमैंट दिलाने में मदद करेगी. ये नियम आपके लिए प्रोसेस को आसान बनाएंगे और सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में आपको फुल कवरेज मिल पाए.

मेडिकल रीइंबर्समेंट प्रक्रिया के बारे में और जानें

मेडिकल रीइंबर्समेंट वो प्रक्रिया है जो उन मेडिकल खर्चों के बदले में दिया जाता है जो पहले ही किए जा चुके हैं. साधारण शब्दों में कहें तो पहले आपको हॉस्पिटल के खर्चों को खुद करना होगा और इंश्योरेर बाद की तारीख में आपको पैसे रीइंबर्स करके देगा.

रीइंबर्स करने के लिए आपको आवश्यक दस्तावेज जमा कराने होंगे. ये वो महत्वपूर्ण पहलू है जो आपको मेडिकल रीइंबर्समेंट प्रक्रिया के दौरान आपको दिमाग में रखना होगा. इसके जरिए आप समझ जाएंगे कि आपको कौन-कौन से डॉक्यूमेंट जरूरी रूप से इकट्ठा करने होंगे और आपको किसी देरी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

मेडिकल रीइंबर्समेंट प्रक्रिया में महत्वपूर्ण पड़ाव- आगे आकर पहल करना

कैशलेस क्लेम प्रोसेस में तो इंश्योरर सीधा हॉस्पिटल्स के साथ बिल को सैटल करता है लेकिन रीइंबर्समेंट प्लान में पैसा वापस मिलने के लिए जरूरी है कि आपको इसके लिए पहल करनी होगी और क्लेम सेटलमेंट प्रोसेस को शुरू करना होगा. कोई शंका अगर इस बारे में हो तो आप इंश्योरर के साथ उसको डिस्कस कर सकते हैं.

एक पॉलिसीहोल्डर होने के नाते आपको ही इंश्योरर से पैसा वापस लाने के लिए कदम उठाना होगा. रीइंबर्समेंट क्लेम फाइल करने के लिए जरूरी है कि आपने इलाज के समय काम आए सारे बिल और डॉक्यूमेंट संभाल कर रखे हों. खुद पहल करने और व्यवस्थित रहने के जरिए आपको सरल, आसान और मुश्किलों से मुक्त रीइंबर्समेंट प्रोसेस का आनंद मिल पाएगा.

मेडिकल रीइंबर्समेंट के लिए जरूरी दस्तावेज- आपको क्या जानना जरूरी है

क्लेम सेटलमेंट प्रोसेस को शुरू करने से पहले ही आपको मेडिकल रीइंबर्समेंट नियों के मुताबिक सारे डॉक्यूमेंट इकट्ठे करने होंगे जिसमें हॉस्पिटल बिल और अन्य संबंधित दस्तावेज शामिल हैं. परेशानी मुक्त मेडिकल रीइंबर्समेंट प्रोसेस के लिए आपको दस्तावेज हैंडी यानी पहुंच में रखने चाहिए और पेमेंट का छोटे से छोटा सबूत भी पेश करना चाहिए.
इंश्योरर के साथ पॉलिसी के मुताबिक डॉक्यूमेंट जमा कराने की प्रक्रिया में आपको थर्ड पार्टी प्रशासन के साथ संवाद करने की जरूरत होगी. ये भी जरूरी है कि आप जरूरी दस्तावेजों की फोटोग्राफ खींच कर रखें और क्योंकि कभी-कभी डॉक्यूमेंट के सबमिट होने के साथ-साथ वो डुप्लीकेट कॉपी भी मांग सकते हैं. इसके जरिए आप मेडिकल रीइंबर्समेंट प्रक्रिया को जल्दी आगे बढ़वा सकते हैं और इसमें देरी से बच सकते हैं.

डॉक्यूमेंट्स की बारीकी से जांच

थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेर और बीमाकर्ता अस्पताल के बिल और सारे डॉक्यूमेंट्स का बारीकी से विश्लेषण करते हैं तो जरूरी है कि आप पहले ही इनकी जांच कर लें. चूंकि ये सीधा अस्पताल से कनेक्ट होते हैं और क्लेम कैशलेस नहीं होता, उनको ये सुनिश्चित करना होता है कि क्लेम सच्चा है और तो उनको सारे दस्तावेज की सत्यता को सुनिश्चित करना होता है. टीपीए या इंश्योरर के पास बिल जमा करने से पहले जांचें. एक छोटा सा अंतर भी आपके क्लेम को खारिज करने के लिए काफी हो सकता है तो आप सभी को जमा करने से पहले अच्छी तरह देख लें.

मेडिकल क्लेम रीइंबर्समेंट की लंबी प्रक्रिया को समझें

वेरिफिकेशन प्रक्रिया शामिल होने के चलते आपको  मिलने में समय लग सकता है. लिहाजा आपको मान कर चलना चाहिए कि कैशलेस प्रोसेस की तुलना में आपको ये क्लेम मिलने में ज्यादा समय लगेगा. आपको आसान प्रोसेस के लिए थोड़ा धैर्य रखना होगा और टीपीए या इंश्योरर के साथ सहयोग करना होगा. अगर वो कोई सवाल या क्वेरी निकालते हैं तो उसका जवाब भी समय पर देना चाहिए. आपको सारे दस्तावेज समय पर, सही तरीके से जमा करने होंगे और ये भी जरूरी है कि आपके टीपीए या इंश्योरर के साथ सौहादपूर्ण संबंध हों.

मेडिकल रीइंबर्समेंट का पैसा लेने के जरूरी दस्तावेज

मेडिकल रीइंबर्समेंट का पैसा लेने के लिए क्लेम बढ़ाने से पहले आपको सारे डॉक्यूमेंट एक साथ करने होंगे- यहां आपको उन जरूरी दस्तावेजों की लिस्ट के बारे में बता रहे हैं-

  • अच्छी तरह से भरा हुआ और हस्ताक्षरित मेडिकल रीइंबर्समेंट फॉर्म
  • आपकी इंश्योरर पॉलिसी या पॉलिसी कार्ड की फोटोकॉपी
  • डॉक्टर द्वारा साइन किया हुआ मेडिकल सर्टिफिकेट
  • एक्स-रे सहित सभी पैथोलेजी रिपोर्ट्स
  • हॉस्पिटल के बिल और मूल रसीदें
  • हॉस्पिटल का डिस्चार्ड कार्ड
  • किसी का भी तरह का फार्मेसी बिल
  • इंवेस्टिगेटिंग रिपोर्ट्स (अगर कोई हैं)
  • अगर एक्सीडेंट क्लेम है तो एफआईआर या एमएलसी की कॉपी
  • नेफ्ट डिटेल्स के साथ क्रेडिट कार्ड सैटलमेंट
  • अगर 1 लाख रुपये से ज्यादा क्लेम है तो अच्छी तरह भरा हुआ केवाईसी फॉर्म
  • इन सभी दस्तावेजों के ओरिजनल आपके पास होने ही चाहिए.

ध्यान रखने वाली जरूरी बातें- क्लेम नियमों को समझें और सही इंश्योरर को चुनें

मेडिकल रीइंबर्समेंट लेने के लिए आपको सही इंश्योरर चुनना जरूरी है और सही प्रोसेस के लिए आपको इंश्योरर के बारे में थोड़ा रिसर्च कर लेना चाहिए. उनके क्लेम सैटलमेंट प्रोसेस को समझना चाहिए और पॉलिसी खरीदने से पहले अगर कोई सवाल हैं तो उनका जवाब लेना चाहिए. वहीं मेडिकल रीइंबर्समेंट और कैशलेस के नियमों को जानना भी बेहद जरूरी है.

Tata AIG के साथ ऑनलाइन हेल्थ इंश्योरेंस खरीदना एक बेहद आसान प्रोसेस है, ये दक्ष होने के साथ-साथ काफी तेज भी है. Tata AIG के पास 7000 से ज्यादा कैशलेस हॉस्पिटल्स के अलावा देशव्यापी नेटवर्क है जिससे बिना दिक्कत के कैशलेस क्लेम सैटलमेंट होता है. इनका क्लेम सैटलमेंट रेश्यो या अनुपात 94.21 फीसदी है जो साल 2020-21 का आंकड़ा है. ये इस बात का सबूत है कि आप इसके जरिए अपनों के स्वास्थ्य की देखभाल कर सकते हैं और टाटा एआईजी आपको सर्वश्रेष्ठ इलाज मुहैया करा सकता है.

Disclaimer: यह लेख एक पेड फीचर है. एबीपी और/एबीपी लाइव यहां व्यक्त किए गए विचारों का समर्थन/सदस्यता नहीं करते हैं. हम किसी भी तरह से उक्त लेख में बताए गए विचारों, घोषणाओं, पुष्टियों आदि के संबंध में, बताए गए/चित्रित किए गए उक्त अनुच्छेद के लिए किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं होंगे. तदनुसार, दर्शकों को स्वविवेक की सलाह दी जाती है.

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