देश में कई ऐसे बिजनेस की शुरुआत हुई है, जो लोगों के लिए प्रेरणा रही है. आज हम एक ऐसी ही कंपनी के बारे में बताने जा रहे हैं. एक किसान के बेटे ने कुछ ही सालों में हजारों करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी. इसने शून्य से शुरू करते हुए देशभर में अपने बिजनेस को फैलाया. इस सफल बिजनेस को खड़ा करने की उनकी यात्रा काफी प्रेरणादायक रही है. उन्होंने अपने इस सफर में कई चुनौतियों का सामना किया है.
गुजरात में किसान परिवार में चंदूभाई विरानी का जन्म हुआ था. 15 साल की उम्र में चंदूभाई और उनका परिवार ढुंडोराजी चले गए और अपने पिता की कमाई पर निर्भर रहे. चंदूभाई और उनके दो भाइयों को 20,000 रुपये दिए गए थे. इन पैसों का इस्तेमाल इन्होंने राजकोट में एग्रीकल्चर प्रोडक्ट और एग्रीकल्चर यंत्रों का बिजनेस शुरू करने के लिए किया, लेकिन दुर्भाग्य से वह व्यवसाय दो साल के भीतर खत्म हो गया. ऐसे में परिवार और आर्थिक संकट में फंस गया.
एक हजार रुपये पर की नौकरी
परिवार की वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण चंदूभाई ने अपने परिवार के लिए छोट- मोटी नौकरियां भी की. उन्होंने एस्ट्रोन सिनेमा के एक कैंटीन में काम किया और फटी सीटों की मरम्मत भी की, कंपनी के पोस्टर भी चिपकाने का काम किया. चंदूभाई ने सिनेमा थिएटर में स्नैक्स भी बेचे. कैंटीन में इन्हें काम करने के 1000 रुपये हर महीने मिलते थे.
चिप्स के साथ बिजनेस में एंट्री
लोगों की मांग को समझने के बाद चंदूभाई ने एक बार फिर बिजनेस करने का जोखिम उठाया. इस बार तैयारी अच्छी थी, जिस कारण उन्हें सफलता मिली और उनकी जिंदगी बदल गई. उन्होंने अपने घर में ही एक अस्थायी शेड बनाया और 10 हजार रुपये के मामूली निवेश के साथ चिप्स का बिजनेस शुरू किया. घर पर बने इस चिप्स को थिएटर के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर अच्छा समर्थन मिला. इस सफलता के बाद चंदूभाई ने बड़ा रिस्क उठाया और 1989 में राजकोट के आजी जीआईडीसी में गुजरात की सबसे बड़ी आलू वेफर फैक्ट्री खोली. इसके लिए उन्होंने बैंक से 50 लाख रुपये तक का लोन उठाया.
कंपनी की स्थापना
अच्छा रिस्पांस मिलने के बाद चंदूभाई और उनके भाइयों ने 1992 में बालाजी वेफर्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की. इसकी शुरुआत देश भर में फैली चार सुविधाओं और 6.5 मिलियन किलोग्राम आलू और 10 मिलियन किलोग्राम नमकीन की दैनिक उत्पादन क्षमता के साथ हुई थी.
बालाजी वेफर्स आज एक बड़ी कंपनी
मौजूदा समय में चंदूभाई वियानी की बालाजी वेफर्स एक बड़ी कंपनी बन गई है, जो 5,000 व्यक्तियों को रोजगार दे रहा है. इसमें 50 प्रतिशत महिलाएं काम करती हैं. राजकोट और वलसाड में उनकी विनिर्माण इकाइयां काफी बढ़ गई है और उनकी संयुक्त क्षमता प्रति घंटे 3,400 किलोग्राम चिप्स का उत्पादन करती है. मौजूदा समय में यह करीब 4000 करोड़ की कंपनी बन चुकी है. फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, वलसाड का प्लांट एशिया के सबसे बड़े प्लांटों में से एक है. इस ब्रांड ने लगातार बढ़ोतरी की है, जो अब अपने बिजनेस को और आगे बढ़ा रही है.
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