Rajiv Jain Update: 24 जनवरी 2023 को शार्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenberg Research) के अडानी समूह ( Adani Group) के स्टॉक्स के खिलाफ रिपोर्ट के सामने के बाद से समूह के शेयर ने अपना सबसे बुरा दौर देखा है. कुछ स्टॉक्स तो 85 फीसदी तकनीचे जा लुढ़के. लेकिन अडानी समूह के लिए जीक्यूजी पार्टनर्स (GQG Partners ) के को-फाउंडर और चैयरमैन राजीव जैन ( Rajiv Jain) हनुमान साबित हुए हैं जिन्होंने 15446 करोड़ रुपये में अडानी समूह की चार कंपनियों के शेयर खरीदकर समूह को संजीवनी प्रदान की है. राजीव जैन ने अडानी समूह की कंपनियों के शेयर क्या खरीदे समूह के स्टॉक्स पर निवेशकों का भरोसा फिर से लौटने लगा है और अडानी पोर्टफोलियो के सभी शेयर्स रॉकेट बना हुआ है.
कौन है राजीव जैन
राजीव जैन जीक्यूजी पार्टनर्स के चेयरमैन और चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर हैं और वे जीक्यूजी की निवेश की रणनीति बनाते हैं. इससे पहले वे वॉनटोबेल एसेट मैनेजमेंट (Vontobel Asset Management) के चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर और हेड ऑफ इक्विटीज रह चुके हैं. पोर्टफोलियो मैनेजर के तौर पर उन्होंने 1994 में शुरुआत की थी. केवल सात वर्षों में राजीव जैन ने जीक्यूजी को 92 बिलियन डॉलर का इंवेस्टमेंट पावरहाउस बना चुके हैं. शायद ही किसी स्टार्टअप ने उनके जैसे बेहद कम समय में इतनी तेजी से फंड जुटाये होंगे जो कमाल राजीव जैन ने किया है.
ऑस्ट्रेलियन फाइनैंशियल रिव्यू को राजीव जैन ने बताया कि अडानी समूह के पास शानदार एसेट्स है जो बेहद आकर्षक वैल्यूएशन पर उपलब्ध है. बीते पांच वर्षों से वे अडानी समूह के स्टॉक्स पर नजर बनाये हुए थे लेकिन उन्हें तब समूह के शेयर का वैल्यूएशन महंगा नजर आ रहा था. राजीव जैन को उम्मीद है कि उनका निवेश सही साबित होगा. उन्होंने कहा कि भारत का 25 फीसदी एयर ट्रैफिक अडानी के एयरपोर्ट से होकर गुजरता है 25 से 40 फीसदी कार्गो के वॉल्यूम में अडानी के पोर्ट्स की हिस्सेदारी है.
2022 में जब बाजार औंधे मुंह गिरता जा रहा था सभी एसेट मैनेजर्स को नुकसान से परेशान थे. जीक्यूजी पार्टनर्स ने इस दौरान भी खूब पैसा बनाया. कंपनी ने 8 अरब डॉलर के निवेश जुटाये और उसकी चार में से तीन फ्लैगशिप फंड्स ने बेंचमार्क इंडेक्स से बहुत ज्यादा रिटर्न दिया है. राजीव जैन ज्यादातर निवेश ऑयल, टोबैको और बैंकिंग सेक्टर में करना पसंद करते हैं.
भारत में जन्मे राजीव जैन 1990 में अमेरिका के मियामी यूनिवर्सिटी ( University of Miami) से एमबीए करने के लिए अमेरिका चले गए. 1994 में उन्होंने वॉनटोबेल ज्वाइन किया. 2002 में इस स्विस कंपनी के वे चीफ इवेंस्टमेंट मैनेजर बन चुके थे. मार्च 2016 में उन्होंने जीक्यूजी की शुरुआत की. उनके निगरानी में वॉनटोबेल इमर्जिंग मार्केट फंड ने 10 साल में 70 फीसदी का रिटर्न दिया जो कि एमएससीआई के इमर्जिंग मार्केट्स फंड का दोगुना है. जीक्यूजी में राजीव जैन की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है. 2021 में ऑस्ट्रेलिया में आईपीओ के जरिए जीक्यूजी ने 893 मिलियन डॉलर रकम जुटाये थे.
राजीव जैन के निवेश ने अडानी समूह के शेयरों में भरा जोश
गुरुवार की शाम को अडानी समूह ने बताया कि 15446 करोड़ रुपये में राजीव जैन के जीक्यूजी ने चार कंपनियों के शेयर्स खरीदे हैं. गुरुवार को ही बाजार को ब्लॉक डील की सुध लग गई थी हालांकि नाम का खुलासा शाम को हुआ. लेकिन बीते दो दिनों में अडानी समूह के शेयरों में गजब की तेजी देखने को मिली है.
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