आप अगर अपना बैंक बदलने की सोच रहे हैं तो ध्यान रखें कि यह एक अहम फैसला होता है. इसके लिए आपको हर तरीके सोच-विचरना चाहिए और उसके बाद ही बैंक चेंज करने के बारे में सोचना चाहिए.
बेहतर सुविधा मतलब पैसों का भुगतान
आपको अगर यह लगता है कि आपके बैंक की सर्विस तय मानकों के अनुरूप नहीं है तो आप अपनी पसंद का बैंक चुन सकते हैं. लेकिन ध्यान रखें कि बेहतर कस्टमर सर्विस की फीस भी देनी होती. आप आप अगर बेहतर सेवाओं के लिए ज्यादा कीमत चुकाने को तैयार हैं तो ही बैंक बदलने का विचार करें. उदाहरण के लिए एक तरफ जहां सरकारी बैंकों में 2,000-3,000 रुपये के न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता होती है वहीं प्राइवेट बैंकों में इससे 4-5 गुना बड़ी रकम मेनटेन करनी पड़ती है.
कई प्राइवेट बैंक ग्राहकों को अच्छी सर्विसेज देने के बदले में ज्यादा चार्ज वसूलते हैं. अगर आप किसी प्राइवेट बैंक में जाना चाहते हैं तो पहले सेवाओं के लिए वसूले जाने वाले चार्जेज के बारे में जानकारी हासिल कर लें
प्रोडक्ट पोर्टफोलियो
आपके बैंक का प्रोडक्ट पोर्टफोलियो अगर आपकी जरूरतों से मेल नहीं खाता है, तो आप शिफ्ट कर सकते हैं. आपका बैंक उन सेवाओं का ऑफर भी दे सकता है जिनकी आपको जरूरत नहीं है या आप नहीं चाहते हैं. लेकिन, आपसे उनके लिए चार्ज लिया जा रहा है. ऐसी स्थिति में भी आप बैंक बदलने के बारे में सोच सकते हैं.
ब्रांच की लोकेशन और टाइमिंग
नेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल नहीं करने वालों के लिए बैंक की ब्रांच के खुलने और बंद होने का महत्व रखता है. बैंक बदलने का फैसला लेते वक्त ऐसे लोगों के लिए यह मुख्य पैमाना हो सकता है. ब्रांच का ऐसी जगह होना आवश्यक है जहां आवाजाही के लिए यातायात के साधन उपलब्ध हों.
ज्यादा ब्याज दरें
बचत खाते पर ज्यादात बैंक करीब 4 फीसदी ब्याज देते हैं. कई बैंक इनकी तुलना में अधिक ब्याज दर ऑफर करके ग्राहकों को लुभाते हैं. क्या सिर्फ इस कारण से ही अपना बैंक बदल लेना चाहिए. ज्यादा ब्याज दर का तभी बहुत फर्क पड़ता है जब आपके खाते में बड़ी रकम हो. अगर साल के दौरान खाते में आपका औसत बैलेंस 40,000 रुपये है, तो आप 5.5 फीसदी ब्याज देने वाले अकाउंट में शिफ्ट होने पर हर महीने लगभग 50 रुपये अधिक प्राप्त करेंगे. जब तक आपके खाते में बड़ी रकम (1 लाख रुपये और उससे अधिक) नहीं रहती, तब तक इससे बहुत फर्क नहीं पड़ेगा.
बैंक की मजबूती
अपना खाता उसी बैंक में शिफ्ट करें जिसकी बैलेंस शीट मजबूत हो. ऐसे बैंकों का अपने कारोबार समेटने की आशंका कम रहती है. सरकारी बैंक प्राइवेट बैंक की तुलना में अधिक सुरक्षित होते हैं. लेकिन बड़े प्राइवेट बैंक भी मजबूती के मामले में कम नहीं होते.