महंगाई और टैक्स, निवेश के दुश्मन माने जाते हैं. निवेश पर रिटर्न को हमेशा महंगाई को मात देने वाला होना चाहिए. रिटर्न पर टैक्स भी इतना होना चाहिए निवेशक कुछ बचा पाए. इसलिए म्यूचुअल फंड निवेशकों को टैक्स का काफी ध्यान रखना पड़ता है. निवेशक को इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि रिटर्न पर लगने वाले टैक्स की वजह से उसका निवेश लक्ष्य बाधित न हो. हालांक टैक्स नियमों में बदलाव होते रहते हैं लेकिन फिलहाल म्यूचुअल फंड से जुड़े जो टैक्स नियम हैं उनकी जानकारी जरूरी है क्योंकि इससे निवेशकों को अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी.


इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीमों पर टैक्स


अगर कोई स्कीम अपनी पोर्टफोलियो का 65 फीसदी शेयरों में निवेश करता है तो इसे इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड स्कीम कहते हैं.


इसमें 12 महीने से ज्यादा वक्त तक अपने पास रखे यूनिट पर मिले रिटर्न पर दस फीसदी का लॉन्ग टर्म गेन टैक्स लगता है. एक लाख रुपये तक के रिटर्न पर  लॉन्ग टर्म गेन टैक्स नहीं लगता है.


एक साल या इससे कम समय तक रखी गई यूनिटों पर 15 फीसदी का शॉर्ट टर्म गेन टैक्स लगता है.


डेट म्यूचुअल फंड स्कीमों पर टैक्स


डेट म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो का 65 फीसदी से कम शेयरों में निवेश करने वाले फंड और स्कीमों पर टैक्स के नियम इस तरह हैं.-


36 महीनों से अधिक समय समय से होल्ड किए गए डेट म्यूचुअल फंड की यूनिटों पर लॉन्ग टर्म टैक्स लगता है. इंडेक्सशन के बाद इसमें 20 फीसदी टैक्स लगता है.


इंडेक्सेशन वह प्रक्रिया है जिसके जरिये किसी एसेट का खरीद मूल्य का एडजस्टमेंट महंगाई से होता है.