इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश या सीधे शेयरों में? अक्सर निवेशकों के सामने यह दुविधा पैदा होती है? लेकिन यह दुविधा दूर हो सकती है, अगर आप निवेश के इन दोनों तरीके के सभी पक्षों को समझ लें. म्यूचुअल फंड के जरिये भी शेयरों में निवेश होता है और आप सीधे भी शेयरों में निवेश कर सकते हैं लेकिन, यहां यह जानना जरूरी है कि लंबी अवधि में किसका रिटर्न ज्यादा होगा. हालांकि शेयरों में निवेश में ज्यादा जोखिम है.
म्यूचुअल फंड में निवेश, आपकी ओर से कोई एक्सपर्ट ( फंड मैनेजर) करता है इसलिए आपका जोखिम कम हो जाता है. फंड मैनेजर अपने पेशे में दक्ष होते हैं इसलिए उनका अनुभव आपके काम आता है. आप निवेश में जोखिम से बच जाते हैं. दूसरी ओर शेयरों में सीधा निवेश जोखिम बढ़ा देता है. अब सवाल यह है कि रिटर्न के हिसाब से कौन अच्छा है?
सीधे शेयरों में निवेश ज्यादा रिटर्न देता है
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर दस साल तक आप किसी इक्विटी फंड में निवेश करते हैं तो 12 फीसदी रिटर्न मिल सकता है लेकिन दस साल तक सीधे शेयरों में निवेश करते हैं तो रिटर्न 16 से 20 फीसदी तक जा सकता है. अब यह निवेशक पर है कि वह अपने निवेश पर कितना जोखिम ले सकता है. अब टैक्स का सवाल. इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश में निवेशक को सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स नहीं देना पड़ता है क्योंकि वे सीधे शेयर मार्केट में निवेश नहीं करते. हां लेकिन म्यूचअल फंड निवेशकों को एक्सपेंस रेश्यो देना होता है.
इक्विटी फंड और सीधे स्टॉक मार्केट में निवेशक, दोनों को एक लाख तक टैक्स छूट मिलती लेकिन एक साल से ज्यादा वक्त तक निवेश पर दोनों पर पर लॉन्ग टैक्स कैपिटेल गेन टैक्स देना पड़ता है. इसलिए टैक्स के मामले में दोनों तरह के निवेशकों के सामने विकल्प सीमित है. दोनों के लिए टैक्स देनदारी लगभग बराबर ही पड़ती है. इस तरह देखें तो शेयरों में सीधे निवेश का रिटर्न इक्विटी फंड के निवेश से ज्यादा है. अगर एक निवेशक के तौर पर आप ज्यादा जोखिम ले सकते हैं तो 4 से 8 फीसदी ज्यादा रिटर्न के हकदार हो सकते हैं.
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