(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Retirement Plan: इस तरह की प्लानिंग करके रिटायरमेंट में आराम से करें खर्च, पढ़ें पूरी खबर
Investment Plan for Retirement: अगर आप भी रिटायरमेंट की प्लानिंग कर रहे हैं लेकिन नियमित पेंशन का विकल्प नहीं है तो इस तरीके से आपनी कमाई रकम का निवेश करके खर्च के लिए रकम का इंतजाम कर सकते हैं.
Retirement Investment Plan: अगर आप जल्द ही रिटायर होने वाले हैं लेकिन आपके पास कोई पेंशन प्लान नहीं है तो अपनी जमा रकम की प्लानिंग ऐसे करनी चाहिए कि हर महीने एकमुश्त रकम का इंतजाम होता रहे. ताकि आपके खर्चे चलते रहें. विशेषज्ञ कहते हैं कि रिटायरमेंट के बाद खर्च के लिए मासिक निकासी की योजना पहले से बनाना अच्छा होता है.
इससे व्यवस्था से आपकी स्वतंत्रता सुनिश्चित होती है और आपकी बचत आनन-फानन में समाप्त होने से भी बचती है. कई रिटायर्ड लोग अपने रिटायरमेंट कोष का इस्तेमाल बैंक जमा, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS), प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY) के अलावा म्यूचुअल फंड के डेट, इक्विटी और हाइब्रिड स्कीम का पोर्टफोलियो बनाने जैसे विकल्पों में करते हैं.
महंगाई का रखें ध्यान
अगर आप 2-4 साल में रिटायर हो रहे हैं तो उसके बाद के लिहाज से सबसे ज्यादा ध्यान महंगाई दर का रखना होगा. मौजूदा दौर में 6 फीसदी से अधिक की महंगाई को देखते हुए 2030 में आपको अगर 80,000 रुपये की जरूरत हर महीने है तो जरूरत की ये रकम 1.27 लाख रुपये पर पहुंच जाएगी.
दरअसल अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करने के पीछे की योजना विभिन्न चरणों में उनसे रकम वापस लेना है. यदि आप केवल डेट निवेश में जाने की योजना बना रहे हैं, तो आपको अच्छे रिटर्न के लिए अधिक रकम की आवश्यकता होगी, जो उचित नहीं है.
यहां भी करें निवेश
ऐसे में आपको अपने पोर्टफोलियो का केवल कुछ हिस्सा ही इक्विटी में निवेश करना चाहिए, ताकि जोखिम सीमित हो. आप रिटायरमेंट के बाद के चरण के लिए एफडी, डेट फंड, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम में रकम जमा कर सकते हैं.
कई जगह करें निवेश
वहीं, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम, प्रधानमंत्री वय वंदना योजना, डेट फंड और हाइब्रिड फंड में निवेश कर सकते हैं. साथ ही इक्विटी फंड में भी बेहतर रिटर्न के लिए जमा किया जा सकता है. वहीं एक और विकल्प बैलेंस फंड में निवेश का भी है.
निवेश की रणनीति ऐसी रखने से आपको हर विकल्प के रिटर्न का औसत मिलता रहेगा. यहां अगर किसी विकल्प में जोखिम ज्यादा है तो उसके एवज में दूसरे बैलेंस फंड से उसकी भरपाई होती रहेगी और आपके खर्चे के लिए रकम का घाटा नहीं होगा. किसी भी निवेश से पहले अपने विशेषज्ञ से सलाह लेना न भूलें.
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