देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक एसबीआई ने कोरोना से प्रभावित अपने रिटेल और होम लोन ग्राहकों को दो साल तक मोरेटोरियम देने का फैसला किया है. उसने लोन री-स्ट्रक्चरिंग के बाद इसका पीरियड दो साल तक बढ़ाने का भी ऑप्शन दिया है.
दूसरे सरकारी बैंक भी चलेंगे इस राह पर
आरबीआई के इस फैसले के ऐलान के बाद दूसरे बैंक भी इस राह पर चल सकते हैं. खास कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक इस तरह की योजनाओं का ऐलान कर सकते हैं. हालांकि स्टेट बैंक के एमडी सीएस शेट्टी ने अपने बैंक की ओर से लोन री-स्ट्रक्चरिंग के ऑप्शन के बारे में कहा कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कोरोना से प्रभावित शख्स की आय कब से शुरू होगी या फिर वह कब तक दोबारा नौकरी में आ सकता है.
1 मार्च, 2020 से पहले लोन लेने वालों के लिए ही छूट
एसबीआई की यह योजना आरबीआई की वन-टाइम रिलीफ योजना के तहत लाई गई है. बैंक की यह सुविधा उन्हीं लोन ग्राहकों को मिलेगी, जिन्होंने 1 मार्च 2020 से पहले लोन लिया हुआ है और जो कोविड से पहले तक लगातार ईएमआई दे रहे थे. हालांकि इस सुविधा का फायदा उठाने वालों के बैंक के सामने यह साबित करना होगा कि उनकी कमाई लॉकडाउन से प्रभावित हुई है.
एसबीआई की इस राहत के बाद दूसरे सार्वजनिक बैंक भी इस तरह की राहत दे सकते हैं. निजी बैंकों की ओर से राहत स्कीम लाई जा सकती है. खबर है कि सबसे पहले आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक इस तरह की राहत योजना ला सकते हैं.
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