नई दिल्ली: आपको दफ्तर से मिलने वाली सैलरी में कई ऑपशन (भत्ते) शामिल होते हैं जो आपका टैक्स का बोझ घटाने में आपके काम आते हैं. इनमें कुछ पर टैक्स पूरा देना होता है लेकिन 10 ऐसे भी विकल्प हैं जो टैक्स छूट के दायरे में आते हैं. जानते हैं ऐसे ही 10 विकल्पों के बारे में....
LTA (लीव ट्रैवेल अलाउंस): कंपनियां अपने स्टाफ को लीव ट्रैवेल भत्ता (LTA) देती हैं ताकि कर्मचारी देश में कहीं भी परिवार के साथ घूम सकें. ट्रेन, हवाई जहाज, सार्वजिनक परिवहन से यात्रा करने पर छूट मिलती है. 4 कैलेंडर वर्ष में दो बार यात्रा पर ही यह लाभ मिलता है.
EPF: वर्कर की बेसिक सैलरी एवं भत्ते का 12% कर्मचारी प्रोविडेंट फंड (EPF) में निवेश होता है. कंपनी भी इतनी ही राशि निवेश करती है. कर्मचारी के हिस्से के योगदान पर छूट मिलती है, जो 1.5 लाख तक होती है.
कार मेंटेनेंस अलाउंस: कार खर्च पर री-इंबर्समेंट क्लेम. ऑफिस के कुछ खास काम व कई निजी काम के लिए छूट.
चिल्ड्रेन एजुकेशन अलाउंस: बच्चों की फीस के लिए कंपनियां सालाना 1,200 या महीने में 100 रुपये भत्ता देती हैं. इसके अलावा, 80सी के तहत ट्यूशन फीस पर भी टैक्स छूट.
एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस): सेलरी का यह हिस्सा वर्कर को मकान किराया भुगतान पर मिलता है. इस पर छूट के लिए जरूरी है कि यह कर्मचारी के वेतन का हिस्सा हो.
फूड कूपन: दफ्तर में खाने-पीने को कंपनियां फूड कूपन देती हैं. सालाना 26,400 रुपये तक छूट.
हॉस्टल खर्च पर छूट: बच्चों के हॉस्टल खर्च पर सालाना 3,600 या 300 रुपये महीने भत्ता देती हैं, इस पर कर रियायत। यह छूट अधिकतम 2 बच्चों के लिए ही उपलब्ध है।
फोन बिल री-इंबर्समेंट: इसके दायरे में ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन सहित टेलीफोन के खर्च आते हैं. टेलीफोन-मोबाइल बिल का री-इंबर्समेंट शामिल.
5,000 तक गिफ्ट वाउचर: कंपनियां कर्मचारियों को गिफ्ट देती हैं, जिस पर छूट मिलती है. हालंकि इसकी शर्त है कि इसकी कुल कीमत सालाना 5,000 रुपये से ज्यादा न हो.
यूनीफॉर्म अलाउंस: कर्मचारी यूनीफॉर्म की खरीद और उसके रखरखाव खर्च पर भी टैक्स छूट पा सकते हैं.
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