(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
आरबीआई के लोन री-स्ट्रक्चरिंग का आम लोन कस्टमर पर क्या होगा असर? यहां समझिए
री-स्ट्रक्चरिंग के दायरे में ऐसे कई उपाय आते हैं, जिनसे लोन कस्मटर को इसे चुकाने में सहूलियत हो जाए और बैंक का कर्ज भी न फंसे.
आरबीआई ने दो दिन पहले मौद्रिक नीति समीक्षा में उद्योगों के साथ ही आम बैंक कस्टमर्स की ओर से लिए गए लोन की री-स्ट्रक्चरिंग का ऐलान किया था. आम लोगों के जिन कर्जों की री-स्ट्रक्चरिंग होगी उनमें गोल्ड लोन, एजुकेशन लोन, होम लोन,पर्सनल लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन, कार लोन शामिल हैं. इसमें बिजनेस या कारोबारी मकसद से लिए गए लोन शामिल नहीं हैं.
रिजर्व बैंक ने कहा है कि जो लोग मार्च, 2020 से अपने कर्जों का लगातार भुगतान करते आ रहे हैं उन्हें री-स्ट्रक्चरिंग का विकल्प दिया जा सकता है. यह विकल्प बैंकों की ओर बनाए गए फ्रेमवर्क के तहत दिया जाएगा, जो 31 दिसंबर तक तैयार हो जाएगा. इसे 90 दिनों के भीतर लागू करना होगा.आखिर लोन री-स्ट्रक्चरिंग है क्या और इसका कर्ज लेने वालों को क्या फायदा होगा? आइए समझते हैं.क्या है लोन री-स्ट्रक्चरिंग दरअसल लोन री-स्ट्रक्चरिंग के दायरे में ऐसे कई उपाय आते हैं, जिनसे लोन कस्मटर को इसे चुकाने में सहूलियत हो जाए और बैंक का कर्ज भी न फंसे. यानी इससे कस्टमर को फायदा तो होता है बैंक भी एनपीए की समस्या से बचे रहते हैं.लोन रीस्ट्रक्चरिंग के तहत आपके लोन चुकाने की अवधि बढ़ाई जा सकती है. लोन चुकाने के लिए तय समय या डेडलाइन में परिवर्तन किया जा सकता है. इसकी री-शेड्यूलिंग हो सकती है. लोन के ब्याज को आसान शर्तों के साथ दूसरे कर्ज में तब्दील किया जा सकता है और फिर मोरेटोरियम की अवधि बढ़ाई जा सकती है.
लोन री-स्ट्रक्चरिंग से लोन चुकाने में होती है आसानी
कोविड -19 को देखते हुए सरकार के निर्देश पर बैंकों ने लोन पर मोरेटोरियम की अवधि खत्म कर दी है. लिहाजा अगर किसी ने मोरेटोरियम की अवधि के दौरान ईएमआई ने नहीं दिया है तो इस दौरान के इकट्ठा ब्याज को एक नए कर्ज में बदलवा सकता है,जिसे चुकाने की शर्तें आसान होगी. अब तक मोरेटोरियम की वजह से ईएमआई न देने वाला एक साथ सारा ब्याज भी चुका सकता है. या फिर मौजूदा किस्त में इसे जुड़वा सकता है. हो सकता है बैंक ईएमआई में परिवर्तन न करे लेकिन लोन चुकाने की अवधि बढ़ा सकता है.