पिछले कुछ सालों के दौरान छोटे कर्ज में काफी तेजी आई है. खासकर कोविड के बाद छोटे कर्ज लेने वालों की संख्या बढ़ी है. अब इस मामले में बिहार सबसे आगे निकल गया है. एक ताजी रिपोर्ट बताती है कि अभी पूरे देश में छोटी राशि के सबसे ज्यादा कर्ज बिहार में लिए गए हैं.


बिहार के लोगों पर इतना कर्ज


क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी सीआरआईएफ हाई मार्क की एक रिपोर्ट में छोटी राशि के कर्ज यानी एमएफआई के आंकड़े दिए गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2023 के अंत तक माइक्रोफाइनेंस लेंडिंग के मामले में दक्षिणी राज्य तमिलनाडु को पीछे छोडकर बिहार सबसे आगे निकल चुका था. पिछले वित्त वर्ष के अंत तक जहां तमिलनाडु में इस तरह के कुल कर्ज 46,300 करोड़ रुपये पर थे, वहीं बिहार में ऐसे कर्ज की कुल रकम बढ़कर 48,900 करोड़ रुपये हो चुकी थी.


समय पर होने लगे ज्यादा पेमेंट


उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पूरे देश में अभी छोटे कर्ज का कुल बकाया 3.37 लाख करोड़ रुपये पर है और इसमें 17.9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. रिपोर्ट में एक अच्छी बात यह सामने आई है कि संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार आया है, मतलब लोग अब कम डिफॉल्ट कर रहे हैं और समय पर पहले की तुलना में ज्यादा भुगतान मिल रहे हैं. 90 दिनों से ज्यादा के बकाये जहां दिसंबर 2022 में 2 फीसदी पर थे, वे अब कम होकर मार्च 2023 के अंत में 1.1 फीसदी पर आ गए हैं.


साल भर में इतना बढ़ा कर्ज


पूरे देश के 3.37 लाख करोड़ रुपये के छोटे कर्ज के कुल बकाये में अभी बिहार की हिस्सेदारी 14.5 फीसदी है, जो पूरे देश में सबसे ज्यादा है. वहीं 13.7 फीसदी हिस्सेदारी के साथ तमिलनाडु दूसरे नंबर पर है. बिहार में छोटी रकम के कर्ज में 13.5 फीसदी की तेजी आई है. यह तेजी ठीक एक साल पहले यानी मार्च 2022 के स्तर की तुलना में है.


टॉप-10 में ये राज्य भी शामिल


छोटे कर्ज लेने के मामले में देश के टॉप-10 राज्यों में बिहार और तमिलनाडु के अलावा उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और केरल भी शामिल हैं. इस तरह के पूरे देश के कर्ज में इन 10 राज्यों की हिस्सेदारी 85 फीसदी है. अगर सभी कर्जदारों के ऊपर कुल बकाये का औसत निकाल जाए, तो बिहार इस मामले में भी सबसे आगे है. रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में कर्जदारों के ऊपर औसत बकाया 27,200 रुपये है, जबकि तमिलनाडु में यह औसत 26,600 रुपये का है.


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