Milk & Mobile Tariff Hike: जून 2024 में लोकसभा चुनावों के बाद दूध की कीमतों में बढ़ोतरी और मोबाइल टैरिफ में इजाफा ने बैंकिंग सेक्टर के रेग्यूलेटर और मॉनिटरी पॉलिसी के जरिए जिसपर महंगाई पर नकेल कसने की जिम्मेदारी है उस भारतीय रिजर्व बैंक को भी परेशान कर दिया है. यही कारण है कि भारतीय रिजर्व बैंक की 50वीं मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की मीटिंग के बाद बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, दूध की कीमतों में बढ़ोतरी और मोबाइल टैरिफ में इजाफे से पड़ने वाले असर पर नजर रखने की जरूरत है. 


दूध के दामों में बढ़ोतरी ने बढ़ाई RBI की परेशानी 


एक जून 2024 को लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण का चुनाव जैसे ही संपन्न हुआ, नतीजे अभी घोषित भी नहीं हुए थे कि अमूल से लेकर मडर देयरी ने दूध के दामों में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी. इससे ऐसा लगा कि ये डेयरी कंपनियां दाम बढ़ाने के लिए चुनाव के खत्म होने का इंतजार कर रही थीं. दूध के महंगा होते ही जिन मतदाताओं ने ये सोच कर मतदान किया था कि नई सरकार के गठन पर उन्हें महंगाई से राहत मिलेगी उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया. क्योंकि चुनावों में महंगाई बड़ा मुद्दा बना था. आम जनता पर दूध के महंगे होने के चलते महंगाई का बोझ और बढ़ गया. दूध के महंगे होने का मतलब है कि पनीर, दही, खोआ, मिठाईयां से लेकर दूध से बनने वाली सभी खाने-पीने की चीजें महंगी हो गई. 


मोबाइल टैरिफ हाइक के असर पर RBI की नजर 


हद तो तब हो गई जब जून महीने के आखिरी हफ्ते में दो दिनों के भीतर ही तीनों बड़ी निजी टेलीकॉम कंपनियों रिलायंस जियो, भारतीय एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने 25 फीसदी तक मोबाइल टैरिफ महंगा कर दिया. प्रीपेड से लेकर पोस्टपेड टैरिफ दोनों महंगे हो गए साथ में डेटा भी महंगा हो गया. ऐसे में मोबाइल रिचार्ज कराने पर उपभोक्ताओं को अब ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ रही है. दूध की कीमतों और मोबाइल टैरिफ में बढ़ोतरी ने आरबीआई को भी परेशान कर दिया है और यही कारण है कि र आरबीआई गवर्नर इसके नजर पर रखने की बात कर रहे हैं.   


खाद्य महंगाई में उछाल ने बढ़ाई चिंता


आरबीआई गवर्नर के इस बयान से साफ है कि जून महीने में दूध की कीमतों और मोबाइल टैरिफ में बढ़ोतरी ने उनकी चिंताओं को बढ़ा दिया है जो पहले से ही खाद्य महंगाई में तेजी से परेशान थे. खाद्य महंगाई ने आरबीआई की चिंता बढ़ा रखी है. भारतीय रिजर्व बैंक ने मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में ब्याज दरों को कम करने पर कोई फैसला नहीं लिया और रेपो रेट को यथावत रखा है क्योंकि जून 2024 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (Consumer Price Index) आरबीआई के 4 फीसदी के टारगेट से ज्यादा 5.08 फीसदी पर जा पहुंची है. जिसमें खाद्य महंगाई का बड़ा योगदान रहा है. खुदरा महंगाई दर में 46 फीसदी वेटेज खाद्य महंगाई का है और मई और जून महीने के महंगाई दर में 75 फीसदी योगदान इसी का रहा है. जून महीने के महंगाई दर में 35 फीसदी योगदान सब्जियों का रहा है. आरबीआई के मुताबिक इसका दबाव दूसरे खाने-पीने की चीजों पर भी पड़ा है.    


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