SBI, ICICI, HDFC के खातों में इतना मिनिमम बैलेंस जरूर रखें, वरना भरना होगा भारी जुर्माना
इसी साल के शुरूआत में ये रिपोर्ट आई थी कि एसबीआई ने अप्रैल से नवंबर के बीच में मिनिमम बैलेंस यानि कि न्यूनतम राशि खाते में नहीं रखने के कारण ग्राहकों से 1771 करोड़ रूपये जुर्माने के रूप में वसूल लिया. इसलिए आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि अलग-अलग बैंकों की न्यूनतम राशि क्या है.
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नई दिल्ली: अगर आपके पास बैंक खाता है तो ये आपके लिए जानना बेहद जरुरी कि कई बैंक इस समय खाते में एक निर्धारित न्यूनतम राशि नहीं होने के कारण ग्राहकों से जुर्माना वसूलते हैं. इस मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई और एचडीएफसी जैसे कई बड़े बैंकों के नाम शामिल हैं. इसी साल के शुरूआत में ही ये रिपोर्ट आई थी कि एसबीआई ने अप्रैल से नवंबर के बीच में मिनिमम बैलेंस यानि कि न्यूनतम राशि खाते में नहीं रखने के कारण ग्राहकों से 1771 करोड़ रूपये जुर्माने के रूप में वसूल लिया. इसलिए आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि बैंकों ने न्यूनतम राशि कितनी निर्धारित की है. आज हम आपको बता रहे हैं कि आप अपने खाते में कम से कम कितना रूपया रखें ताकि जुर्माना लगने से बच जाएं.
मिनिमम बैलेंस यानि कि न्यूनतम राशि को बैंकिंग की भाषा में 'मंथली एवरेज बैलेंस' मतलब 'मासिक औसतन राशि' कहते हैं. इसका मतलब है कि हर एक महीने कम से कम इतनी रकम आपके खाते में होनी चाहिए नहीं तो पेनाल्टी लगेगी. ये पेनाल्टी पांच रूपये से लेकर 600 रुपये तक की होती है. यहां दी जा रही सारी जानकारी बचत खाता से संबंधित है. ये नियम चालू या फिर अन्य श्रेणीं के खाताधारकों पर लागू नहीं होते हैं.
SBI(स्टेट बैंक ऑफ इंडिया)
एसबीआई ने शहरी और ग्रामीण शाखाओं के लिए अलग-अलग 'मासिक औसतन राशि' निर्धारित किया है. मेट्रो शहर के खाताधारकों को कम से कम 3000 रुपये अपने खाते में रखना होगा. इसी तरह शहरी क्षेत्रों के एसबीआई खाताधारकों को भी 3000 रूपये तक का मिनिमम बैलेंस अपने खाते में रखना होगा. अगर मेट्रो और शहरी क्षेत्र के लोग इससे कम राशि खाते में तखते हैं तो उन पर 10 से 15 रूपये तक का जुर्माना लग सकता है. इसमें जीएसटी भी जोड़ा जाता है. इस तरह जुर्माना राशि और बढ़ जाएगी.
हालांकि अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के खाताधारकों को थोड़ी सी राहत है. अर्ध-शहरी को 2000 और गांव के बैंक कस्टमर्स को अपने अकाउंट में 1000 रूपये रखना अनिवार्य है. अर्ध-शहरी खाताधारकों को 7.5 से 12 रूपये तक का फाइन लगता है. इसमें जीएसटी भी जोड़ा जाता है. वहीं ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए 5 से 10 रुपये तक का फाइन है. साथ में जीएसटी भी लगता है.
ICICI बैंक
प्राइवेट बैंक आईसीआईसीआई ने मेट्रो और शहरी क्षेत्र के लोगों के लिए मिनिमम बैलेंस 10,000 रूपये निर्धारित की है. अगर इससे कम पैसा रखते हैं तो फाइन लगेगा. वहीं अर्ध-शहरी के लिए 5000 और ग्रामीणों के लिए 2000 रुपये तक की रकम तय की गई है. सरकारी बैंक के मुकाबले प्राइवेट बैंकों का फाइन काफी ज्यादा है. आईसीआईसीआई बैंक में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर 100 रूपये और मिनिमम बैलेंस को पूरा करने में जितनी राशि कम पड़ गई है उसका पांच प्रतिशत जोड़ कर जुर्माना राशि देना होगा. जुर्माना राशि का ये नियम ग्रामीण बैंक को छोड़कर आईसीआईसीआई के सभी प्रकार के शाखाओं के लिए एक समान है. ग्रामीण बैंक में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर मिनिमम बैलेंस को पूरा करने में जितनी राशि कम पड़ गई है उसका पांच प्रतिशत बतौर जुर्माना देना पड़ेगा.
HDFC बैंक
आईसीआईसीआई की तरह एचडीएफसी बैंक में भी जुर्माना राशि काफी ज्यादा है. एचडीएफसी बैंक ने मेट्रो और शहरी क्षेत्र की शाखाओं के लिए 10,000 रुपये की 'मासिक औसतन राशि' यानि कि मिनिमम बैलेंस निर्धारित की है. वहीं अर्ध-शहरी और ग्रामीण शाखाओं के लिए 5000 रूपये और 2,500 की राशि निर्धारित है. अगर इतने पैसे खाते में नहीं रखते हैं तो अलग-अलग तरीके का जुर्माना लगता है.
मेट्रो और शहरी क्षेत्र में जिन लोगों के खाते में 7,500 से 10,000 के बीच में बैलेंस रहता है तो उन्हें 150 रुपये और कुछ टैक्स जोड़ कर जुर्माना देना होगा. वहीं जिनके खाते में 5,000 से 7,500 तक की राशि होगी उन्हें 300 रुपये कुछ टैक्स जोड़ कर जुर्माना देना होगा. इसी तरह अर्ध-शहरी क्षेत्र के खाताधारकों पर भी मिनिमम बैलेंस में कमी के आधार पर 150 से 300 रुपये और टैक्स जोड़ कर जुर्माना देना होता है.
वहीं ग्रामीण क्षेत्र में अगर किसी के खाते में 1,000 से 2,500 तक की राशि है तो उसे 270 रुपये और टैक्स जोड़ कर फाइन देना होगा. और अगर किसी के खाते में 1,000 से कम राशि है तो 450 का फाइन देना होगा. इसका मतलब है कि सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव गरीबों पर ही पड़ेगा.
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