National Pension Scheme: नेशनल पेंशन सिस्टम में सुधार किए जाने को लेकर कमिटी का गठन कर दिया गया है. वित्त मंत्रालय ने ऑफिस ऑफ मेमोरेंडम जारी किया है जिसमें बताया गया है कि वित्त सचिव जो कि सचिव एक्सपेंडिचर भी है वो इस कमिटी की अध्यक्षता करेंगे. इसके अलावा इस कमिटी में डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग, मिनिस्ट्री ऑफ पर्सनल, पब्लिक ग्रीवांसेज एंड पेंशन, स्पेशन सेक्रेटरी, डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर और पीएफआरडीए के चेयरमैन इस कमिटी के अन्य सदस्य होंगे.
कमिटी के टर्म्स ऑफ रिफरेंस पर नजर डालें तो वो इस बात को देखेंगे कि क्या मौजूदा नेशनल पेंशन सिस्टम के फ्रेमवर्क और स्ट्रक्चर में बदलाव किए जाने की जरुरत है. अगर कमिटी बदलाव की जरुरत महसूस करती है तो क्या बदलाव किए जा सकते हैं जिससे नेशनल पेंशन स्कीम में सरकारी कर्मचारियों के पेंशन में सुधार किया जा सके. जरुरत महसूस करने पर कमिटी किसी भी सरकारी अधिकारियों को सुझावों के लिए चुन सकती है. कमिटी राज्यों से राय मशविरा कर सकती है. हालांकि ऑफिस मेमोरेंडम में ये नहीं बताया गया कि कमिटी अपनी सुझाव कब तक सरकार को सौंपेगी.
लोकसभा में वित्त विधेयक के पास किए जाने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने एलान किया था कि सरकारी कर्मचारियों के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम को और आकर्षक बनाया जाएगा. इसके लिए उन्होंने वित्त सचिव की अध्यक्षता में नेशनल पेंशन सिस्टम को लेकर कमिटी बनाये जाने का एलान किया था. वित्त मंत्री ने कहा कि इस कमिटी की सिफारिशों को केंद्र सरकार के कर्मचारियों और राज्य सरकार के कर्मचारियों समेत सभी पर लागू होगा.
वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री ने लोकसभा में कहा कि, मैं वित्त सचिव की अध्यक्षता में पेंशन के मुद्दे पर विचार करने और आम नागरिकों की रक्षा करते हुए फिस्कल प्रूडेंस को बनाए रखते हुए कर्मचारियों की जरूरतों को पूरा करने वाले दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए कमिटी बनाने की घोषणा करती हूं. वित्त मंत्री ने कहा कि कमिटी की सिफारिशें होंगी उसे केंद्र सरकार और राज्य सरकारों दोनों द्वारा अपनाने के लिए तैयार किया जाएगा.
नेशनल पेंशन स्कीम लेकर केंद्र और विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों के बीच घमासान छिड़ा हुआ है. केंद्र सरकार समेत राज्य सरकार के कर्मचारी इन दिनों नेशनल पेंशन स्कीम को विरोध करते हुए पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से बहार करने की मांग कर रहे हैं. विवाद इसलिए भी बढ़ता जा रहा है क्योंकि कांग्रेस शासित राज्य जैसे हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ जैसे राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से बहाल कर दिया गया है. जिसके बाद एनपीएस की समीक्षा करने का सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा था.
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