India-China Trade: दो दिन पहले पेश किए इकोनॉमिक सर्वे में भारत-चीन के बीच व्यपारिक रिश्ते को सामान्य करने की वकालत की गई है. अब उसका असर भी दिखने लगा है. भारत आने वाले दिनों में सोलर पैनल्स और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग जैसे असंवेदनशील सेक्टर्स में चीन के निवेश पर लगी बंदिशों में ढील दे सकता है. 


भारत के पास सोलर पैनल्स और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के मामले में विशेषज्ञता की कमी है जिससे डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा नहीं मिल रहा है. रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में दो सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि भारत सोलर पैनल और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग में चीनी निवेश को हरी झंडी दे सकता है. 


2020 में गलवान घाटी में भारत-चीनी सैनिकों के बीच हुए झड़प के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है. उसके बाद भारत ने चीनी निवेश पर सख्ती बढ़ा दी. लेकिन अब सरकार कुछ सेक्टर्स में सख्ती में ढील देने की तैयारी में है जो चीनी निवेश के लिहाज से सुरक्षा के मद्दनेजर कम संवेदनशील है. हालांकि टेलीकॉम और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर्स में चीनी निवेश पर सख्ती जारी रहेगी. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 के बाद दोनों पड़ोसी देशों के बीच रिश्तों को सामान्य करने का ये सबसे बड़ा और पहला प्रयास होगा. रॉयटर्स ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय से इसपर कमेंट करने के अनुरोध करने पर भी कोई जवाब नहीं मिला है.  


इससे पहले 22 जुलाई 2024 को संसद पेश किए इकोनॉमिक सर्वे में भारत-चीन व्यापरिक रिश्तों पर पूरा अध्याय लिखा गया है. सर्वे में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन (V. Anantha Nageswaran) ने सरकार को सुझाव दिया है कि, भारत को अपने ग्लोबल एक्सपोर्ट्स को बढ़ाने के लिए खुद को चीन के सप्लाई-चेन में शामिल कर लेना चाहिए या फिर चीन से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को आकर्षित करना चाहिए. सर्वे में कहा गया कि, क्रिटिकल और रेयर अर्थ मिनिरल्स (Critical And Rare Earth Minerals) के प्रोडक्शन और प्रोसेसिंग में चीन की मोनोपॉली है. इससे भारत के रिन्यूएबल एनर्जी प्रोग्राम पर भी बुरा असर देखने को मिल सकता है क्योंकि रिन्यूएबल एनर्जी के कच्चे माल के लिए भारत आयातित कच्चे माल पर निर्भर है. 


आर्थिक सर्वे के मुताबिक, चीन से विदेशी निवेश को आकर्षित करने से अमेरिका को भारत से एक्सपोर्ट्स बढ़ाने में मदद मिलेगी जैसा पहले पूर्वी एशियाई देश कर चुकी हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि एफडीआई को आकर्षित करना ट्रेड पर निर्भर रहने से ज्यादा फायदेमंद है. इससे भारत के लिए चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी जो भारत को सबसे ज्यादा निर्यात करने वाला देश है. 


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