Bank Privatisation: जानिए किसने दी मोदी सरकार को SBI को छोड़ दूसरे सभी सरकारी बैंकों के निजीकरण करने की सलाह
PSB Privatisation:अरविंद पनगढ़िया और NCAER की पूनम गुप्ता ने जिन्होंने एक रिपोर्ट तैयार किया है. रिपोर्ट में कहा गया है निजी बैंक सरकारी बैंकों के मुकाबले बेहतर विकल्प के तौर पर उभरे हैं.
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Public Sector Bank Privatisation: केंद्र सरकार को भारतीय स्टेट बैंक को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण करने का सुझाव दिया गया है. सरकार को ये सुझाव दिया है नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया और एसीएईआर (NCAER) की पूनम गुप्ता ने जिन्हों ने एक रिपोर्ट तैयार किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी बैंकों की बाजार में हिस्सेदारी बढ़ी है और वे सरकारी बैंकों के मुकाबले बेहतर विकल्प के तौर पर उभरे हैं.
SBI को छोड़ दूसरे PSE बैंक है निजी बैंकों के सामने फिसड्डी
रिपोर्ट के मुताबिक बीते एक दशक में एसबीआई को छोड़कर दूसरे सभी सरकारी बैंक ने हर पैमाने पर निजी बैंकों से बहुत पीछे रहे हैं. सरकारी बैंकों का ऑपरेशन कॉस्ट बढ़ा है तो उनके द्वारा दिया लोन डूबता रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक इन सरकारी बैंकों ने निजी बैंकों के मुकाबले एसेट और इक्विटी पर कम रिटर्न अर्जित किया है. सरकारी बैंक डिपॉजिट्स और लोन एडवांस करने के मामले में निजी बैंक से काफी पीछे हैं.
बैंकिंग सेक्टर के ग्रोथ का श्रेय निजी बैंकों को
रिपोर्ट में कहा गया कि 2014-15 से बैंकिंग सेक्टर के ग्रोथ के लिए निजी बैंक और एसबीआई जिम्मेदार है. सरकार द्वारा उठाये गए कई कदम के बावजूद सरकारी बैंक पिछड़ते चले गए हैं. सरकार ने सरकारी बैंकों को आपस में विलय कर उनकी संख्या को 27 से घटाकर 12 कर दिया है. सरकार ने एनपीए के संकट से निपटने के लिए 2010-11 से लेकर 2020-21 के बीच सरकारी बैंकों में 65.67 अरब डॉलर पूंजी डाला है बावजूद इसके एनपीए ज्यादा बना हुआ है.
डाले गए पूंजी के कम है मार्केट कैपिटलाईजेशन
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि एसबीआई को छोड़कर 31 मई 2022 तक सभी सरकारी बैंकों का मार्केट कैपिटलाईजेशन, इन बैंकों में डाले गए पूंजी से कम है. एसबीआई को छोड़कर बाकी सरकारी बैंकों का मार्केट कैपिटलाईजेशन 30.78 अरब डॉलर है जबकि इनमें 43.04 अरब डॉलर पूंजी डाला गया है. रिपोर्ट में नसीहत दी गई है कि पहले जिस भी दो सरकारी बैंकों का निजीकरण हो, ये सुनिश्चित किया जाए इन दोनों बैंकों ने एसेट्स और इक्विटी पर सबसे ज्यादा रिटर्न दिया हो साथ ही 5 सालों में सबसे कम एनपीए दोनों बैंकों का रहो हो.
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