नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर यानी 5 लाख करोड़ डॉलर की इकॉनमी बनाने का लक्ष्य तय किया है. पीएम मोदी ने नीति आयोग की संचालन परिषद की पांचवीं बैठक के बाद कहा था कि साल 2024 तक देश को 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य है. उन्होंने ये भी कहा कि भारत को 2024 तक 5 खरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है पर राज्यों की संयुक्त कोशिशों से इसे हासिल किया जा सकता है.


बता दें कि वर्तमान में भारत का सकल घरेलू उत्पाद लगभग 2.2 लाख करोड़ डॉलर है यानी अगले 5 सालों में भारतीय इकोनॉमी को दोगुने से भी ज्यादा की ग्रोथ हासिल करने का लक्ष्य केंद्र सरकार रखकर चल रही है. सरकार का ये महत्वाकांक्षी लक्ष्य समय से पूरा हो पाए इसके लिए  कई प्रोजेक्ट्स पर काम भी शुरू हो चुका है लेकिन इनके जरिए 2024 तक केंद्र सरकार अपना लक्ष्य पूरा कर पाएगी इसको लेकर सभी आश्वस्त नहीं हैं.


वैसे तो केंद्र सरकार के कई मंत्री इस बात पर भरोसा जता चुके हैं कि 2024 तक देश 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस लक्ष्य को असंभव बताया है. उन्होंने हाल ही में कहा था कि 5 साल में 5 लाख करोड़ डॉलर की इकॉनमी बनाने का लक्ष्य संभव नहीं है. मनमोहन सिंह जाने-माने अर्थशास्त्री भी हैं और ऐसे में उनका ये बयान ये सवाल खड़े करता है कि क्यों इस 5 खरब डॉलर की इकॉनमी के लक्ष्य को लेकर सबको भरोसा नहीं है.


जीडीपी की गिरती दर बड़ी चिंता का विषय
बता दें कि देश की आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी में पिछले 6 सालों की सबसे बड़ी गिरावट हाल ही में दर्ज की गई है. 2019-20 की पहली यानी अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी घटकर पांच फीसदी रह गयी. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट और कृषि उत्पादन की सुस्ती के चलते जीडीपी वृद्धि में यह गिरावट देखी गई है जो बेहद चिंता का विषय है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विकास दर घटकर 0.6 फीसदी पर आना ये दिखाता है कि विनिर्माण गतिविधियों में भारी गिरावट आई है और देश में उत्पादन घट रहा है. कृषि सेक्टर की विकास दर भी गिरकर 2 फीसदी तक आ चुकी है जो दिखाता है कि गांवों में कृषि सेक्टर को वृद्धि करने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जीडीपी गिरावट साफ तौर पर देश की आर्थिक तरक्की की सुस्ती का प्रमाण है और इसके चलते 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना दूर की कौड़ी लगता है.



बेरोजगारी का संकट
देश में रोजगार की उपलब्धता को लेकर लंबे समय से चिंता जताई जा रही है और ये साफ हो चुका है कि देश में रोजगार का संकट भयावह होता जा रहा है. सरकार ने मई में 2017-18 के दौरान बेरोजगारी दर के आंकड़े जारी किए थे जिसमें बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी रही थी जो कि 45 साल में सबसे ज्यादा दर्ज की गई है. बेरोजगारी का संकट आने वाले समय में और ज्यादा बढ़ने की संभावना कई विभागों द्वारा जताई जा रही है लेकिन सरकार का कहना है कि रोजगार के मोर्चे पर वो बड़ी तेज गति से काम कर रही है. हालांकि ये कहना गलत नहीं होगा कि बेरोजगारी का समाधान अगर नहीं निकाला गया तो ये 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी के लक्ष्य की राह में रोड़ा बन सकती है.


औद्योगिक उत्पादन में गिरावट
देश का औद्योगिक उत्पादन भी गिरता जा रहा है और सितंबर में देश की आईआईपी में 4.3 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की जा रही है. हाल में कई तिमाहियों में देश के औद्योगिक उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है और इसका देश की वृद्धि पर नकारात्मक असर हो रहा है. पावर सेक्टर, माइनिंग सेक्टर और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं क्योंकि इनमें प्रोडक्शन घटता जा रहा है. देश के विकास के लिए औद्योगिक उत्पादन में तेजी आना बेहद जरूरी है लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है, ये भी एक बड़ी बाधा के रूप में देखा जा रहा है.



ऑटो, सर्विस सेक्टर में गिरावट
ऑटो सेक्टर बड़ी मंदी की गिरफ्त में है और लगातार कई तिमाहियों से कार कंपनियों की सेल्स में गिरावट आ रही है. देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी ने लगातार कई तिमाहियों के बाद अक्टूबर में कार सेल्स में बढ़ोतरी दर्ज की. हालांकि और ऑटो कंपनियां लगातार गिरते बिक्री के आंकड़े दिखा रही हैं. पैसेंजर कारों, एसयूवी और कमर्शियल व्हीकल के साथ-साथ ट्रैक्टर बिक्री में भी गिरावट दर्ज की जा रही है जो अर्थव्यवस्था के लिए चिंता की बात है.


रेटिंग एजेंसियों का भारत पर लगातार घटता भरोसा
काफी लंबे समय से विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां भारत की ग्रोथ को लेकर पॉजिटिव नहीं हैं और लगातार भारत की रेटिंग को डाउनग्रेड कर रही हैं. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत के आर्थिक विकास के अनुमान को चालू वर्ष के लिए अनुमानित 5.8 फीसदी से घटाकर 5.6 फीसदी कर दिया है. मूडीज ने कहा है कि जीडीपी स्लोडाउन पहले की अपेक्षा लंबे समय तक जारी है. एक बयान में कहा गया है कि ''हमने भारत के लिए अपने विकास के पूर्वानुमान को संशोधित किया है. अब हम जीडीपी ग्रोथ रेट 2019 में 5.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाते हैं, जो 2018 में 7.4 फीसदी था. इसके अलावा हाल-फिलहाल में वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ, बैंक ऑफ अमेरिका आदि भी भारत की ग्रोथ रेट के घटने का अंदाजा दे चुके हैं.



सारांश
इस तरह कई ऐसी बाधाएं हैं जो मोदी सरकार के 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी के सपने को पूरा होने से रोक सकती हैं. अगर सरकार को अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करना है तो इन कठिनाइयों का जल्द से जल्द समाधान करने की दिशा में काम करना होगा. वैसे भी ये बताया जा चुका है कि 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी के सपने को पूरा करने के लिए लगातार 10 से 12 फीसदी प्रति वर्ष की जीडीपी दर के लक्ष्य को हासिल करना होगा लेकिन हाल फिलहाल की परिस्थितियों में ऐसा होना संभव नहीं लग रहा है.