नई दिल्लीः केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले एक हफ्ते में 2 बड़े एलान किए हैं. गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास हो चुका है. इसके अलावा कल ही जीएसटी काउंसिल ने व्यापारियों को राहत देते हुए 40 लाख रुपये टर्नओवर वाले कारोबारियों को जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया है. इससे पहले ये सीमा 20 लाख रुपये थी. इन दो एलानों के जरिए मोदी सरकार दावा कर रही है कि वो आम जनता को फायदा पहुंचाने के लिए सारे पहलुओं पर ध्यान दे रही है.


इसके अलावा भी सरकार भी कुछ और योजनाएं हैं जिनके जरिेए सरकार का मानना है कि लोगों को लुभाया जा सकता है. इसी के तहत किसानों के लिए भी सरकार एक बड़ी योजना पर काम कर रही है.


एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक़ मोदी सरकार अगले चंद दिनों में देशभर के किसानों को राहत के तौर पर एक बड़े पैकेज का ऐलान कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक पैकेज का पूरा मसौदा तैयार कर लिया गया है और जल्द ही कैबिनेट से मंज़ूरी के बाद इसका ऐलान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं. जानकारी के अनुसार मसौदे में तेलंगाना और उड़ीसा में चलाए जा रहे योजना को मिलाकर एक योजना तैयार की गई है.


तेलंगाना-ओडिशा का मॉडल
तेलंगाना में हर बुवाई सीज़न के पहले जहां किसानों को प्रति एकड़ 4000 रुपया सब्सिडी के तौर पर सीधे उनके आते में दिया जाता है वहीं ओडिशा में ये रकम 5000 रुपया प्रति एकड़ है. साल में ख़रीफ़ (अप्रैल-मई) और रबी (अक्टूबर-नवंबर) बुवाई सीज़न के पहले पैसा खाते में भेजा जाता है


किसानों को ये पैसा बुआई के पहले होने वाले ख़र्चे का भार वहन करने के लिए दिया जाता है ताकि वो बीज और फर्टिलाइजर समेत बाक़ी सामान ख़रीद सकें. हालांकि इसे लागू करने में सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या आएगी, आधे से ज़्यादा राज्यों में ज़मीन कम्प्यूटरीकृत नहीं है. ऐसे में लाभार्थियों की पहचान मुश्किल होगी.


मध्य प्रदेश का मदद मॉडल
वहीं, सरकार ये भी सुनिश्चित करने की योजना बना रही है कि फ़सल कटने के बाद उसे बेचने पर किसानों को कम से कम सरकारी दाम तो ज़रूर मिले. इसके लिए मध्यप्रदेश में चलाई जा रही भावंतर भुगतान योजना के तहत किसानों को मदद किए जाने का भी प्रस्ताव है. इन दोनों स्कीमों को लागू करने के लिए सरकार को क़रीब 1.7 लाख करोड़ रुपये की ज़रूरत पड़ेगी.


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