Bangladesh Prime Minister: बांग्लादेश की शेख हसीना (Sheikh Hasina) सरकार का पतन हो चुका है. शेख हसीना देश छोड़कर जा चुकी हैं. अब बांग्लादेश की कमान एक ऐसे प्रोफेसर के हाथ में आने वाली है, जिसने गरीबों के लिए काम करके नोबेल पुरस्कार हासिल किया. शेख हसीना सरकार में गबन के आरोपों का सामना करने वाले प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus) को अंतरिम सरकार का नेता चुना गया है. राष्ट्रपति मोहमद शहाबुद्दीन (Mohammed Shahabuddin) ने मंगलवार को संसद को भंग करते हुए मोहम्मद यूनुस को जिम्मेदारी सौंपी है. 


ग्रामीण बैंक के जरिए माइक्रोफाइनेंस से बदली लोगों की जिंदगी


माइक्रोफाइनेंस के पिता (The Father of Microfinance) कहे जाने वाले मोहम्मद यूनुस गुरुवार को पेरिस से बांग्लादेश आकर अपना कार्यभार ले सकते हैं. उन्होंने कई यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर काम किया. इसके बाद ग्रामीण बैंक (Grameen Bank) के जरिए माइक्रोफाइनेंस का इस्तेमाल करते हुए कई लोगों के जीवन में आर्थिक सुधार लागू किए. महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के चलते उन्हें 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) भी दिया गया था. बांग्लादेश में हालिया संकट शुरू होने के बाद उन्होंने कहा था कि शेख हसीना ने बंगबंधु मुजीबुर रहमान (Mujibur Rahman) के सपनों को तोड़ा है. बांग्लादेश अब आजाद हो गया है.  


सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने की थी मांग  


बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने 84 वर्षीय मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुखिया बनाने की मांग की थी. शेख हसीना सरकार ने ग्रामीण बैंक में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए मोहम्मद यूनुस को एमडी के पद से 2011 में हटा दिया था. इससे पहले उन्होंने 2007 में बांग्लादेशी राजनेताओं को सिर्फ पैसों का भूखा बता दिया था. उन्हें लेबर लॉ के उल्लंघन में 6 महीने की जेल भी हुई थी. ढाका की एक अदालत ने उन्हें और 13 अन्य को ग्रामीण टेलीकॉम (Grameen Telecom) में 20 लाख डॉलर के गबन के आरोप में दोषी पाया था. नॉर्वे की टेलीकॉम कंपनी टेलीनॉर (Telenor) की सब्सिडियरी ग्रामीण फोन (Grameenphone) में ग्रामीण टेलीकॉम भी हिस्सेदार थी. 


मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में गरीबी कम करने में मदद की


ग्रामीण बैंक की सफलता ने ऐसे ही प्रोजेक्ट फिलीपींस, इंडोनेशिया और पाकिस्तान में भी शुरू करने का रास्ता खोला था. मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में गरीबी कम करने में मदद की थी. उनका जन्म 1940 में चिटगोंग में हुआ था. फिर उन्होंने ढाका यूनिवर्सिटी और अमेरिका की वांडरबिल्ट यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने चिटगोंग यूनिवर्सिटी में काम करना शुरू कर दिया.


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