Circle Rate: इंफोसिस के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (सीएफओ) रह चुके मोहनदास पई कर्नाटक सरकार के सर्किट रेट बढ़ाने के फैसले से नाखुश हैं. उन्होंने अपील की है कि राजस्व में आई कमी को दूर करने की कोशिश में सर्किट रेट बढ़ाने के अपने प्लान पर सरकार को दोबारा सोचना चाहिए. उन्होंने कहा, ''यह आम आदमी पर अनावश्यक बोझ डालने जैसा है, जो कि बहुत गलत है.''
क्यों कर्नाटक में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में आई गिरावट
मोहनदास पई ने कहा, ''सरकार का मिसमैनेजमेंट नागरिकों को परेशान करने का साधन नहीं बन सकता. हम पहले से ही अधिक टैक्स, करप्शन और क्वॉलिटी ऑफ लाइफ में कमी से परेशान हैं.'' टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक में धोखाधड़ी वाली संपत्ति के लेन-देन को रोकने के लिए ई-खाता सिस्टम के लागू होने और दिसंबर में सब-रजिस्ट्रारों के ट्रांसफर के आर्डर से राज्य भर में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में गिरावट आई है.
अक्टूबर से कम होने लगा है रजिस्ट्रेशन
आलम यह है कि बीते साल दिसंबर में राज्य भर में केवल 1.5 लाख प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट्स का रजिस्ट्रेशन हुआ. यह चालू वित्त वर्ष में किसी महीने का सबसे कम आंकड़ा है. जबकि फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के शुरुआत के नौ महीनों में 17 लाख से अधिक प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन हुआ. अक्टूबर से इस संख्या में गिरावट आनी शुरू हुई, जब इस महीने रजिस्ट्रेशन के लिए सिर्फ 1.7 लाख प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट्स जमा कराए गए. इसके बाद नवंबर में यह आंकड़ा गिरकर 1.6 लाख और दिसंबर में सबसे नीचे लेवल यानी डेढ़ लाख पर पहुंच गया.
कर्नाटक सरकार को हुआ बड़ा घाटा
अब जाहिर सी बात है कि प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में कमी आएगी, तो इससे होने वाली कमाई घटेगी ही, लिहाजा सरकार को 1971 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. राजस्व विभाग में दिसंबर 2024 तक प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन से 18,388 करोड़ रुपये के मुनाफे का लक्ष्य रखा था, जबकि कमाई सिर्फ 16,416 करोड़ रुपये की हुई. अब सरकार राजस्व में हुए इस घाटे की भरपाई करने के लिए प्रॉपर्टी सर्किल रेट बढ़ाने के बारे में सोच रही है. जबकि इससे पहले सर्किल रेट में 15-30 परसेंट की बढ़ोतरी पहले ही लागू हो चुकी है.
क्या है सर्किल रेट
सर्किल रेट वह सरकारी रेट है, जिस पर किसी जमीन की खरीद-बिक्री की जाती है. यह प्रॉपर्टी के लोकेशन पर निर्भर करता है जैसे कि अगर प्रॉपर्टी या जमीन अच्छे लोकेशन पर है, तो सर्किल रेट ज्यादा होगी और अगर गांव या पिछड़े इलाकों में है, सर्किल रेट कम होगी. इसी सर्किल रेट के आधार पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस तय की जाती है.
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