Stock Market: देश में इस समय मानसून दस्तक दे चुका है. हालांकि, आशंका जताई जा रही है कि इस साल मानसून कमजोर रहेगा. ऐसे में न सिर्फ किसान और सरकार बल्कि स्टॉक मार्केट की भी सांस फूल रही है. यूं तो आपको लगेगा कि मानसून का स्टॉक मार्केट पर क्या असर पड़ सकता है. मगर, कमजोर मानसून से कृषि उत्पादन में कमी आती है. इसके चलते कच्चे माल की किल्लत होती है और कई प्रोडक्ट के दाम उछलने लगते हैं. इसका बुरा असर एफएमसीजी कंपनियों पर पड़ता है और स्टॉक मार्केट में सुस्ती आने लगती है. आइए आपको समझाते हैं कि इस साल मानसून कैसे स्टॉक मार्केट को प्रभावित कर सकता है. 


निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स का प्रदर्शन रहा था खराब 


पिछले साल कमजोर मानसून के चलते निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स सिर्फ 17.5 फीसदी बढ़ा था और बॉटम 5 परफॉर्मर में शामिल हो गया था. साथ ही कृषि सेक्टर का जीडीपी में योगदान भी 25 फीसदी से घटकर 18 फीसदी हो गया है. इसके अलावा कृषि क्षेत्र की कंपनियों का प्रदर्शन भी कमजोर होता जा रहा है. एग्रीकल्चर सेक्टर पर तो मानसून का साफ असर दिखाई ही देता है. साथ ही कई सेक्टर पर इसका इनडायरेक्ट असर भी पड़ता है. इनमें एफएमसीजी, ऑटो सेक्टर, बैंकिंग और एनर्जी सेक्टर भी शामिल हैं. आईटीसी और नेस्ले जैसी कंपनियां एग्रीकल्चर प्रोडक्शन पर निर्भर करती हैं. कमजोर मानसून के चलते पहले भी इनके स्टॉक ने खराब प्रदर्शन किया है.   


ग्रामीण इलाकों में हो जाती है पूंजी की किल्लत 


कमजोर मानसून के चलते ग्रामीण इलाकों में लोगों के पास पूंजी की कमी हो जाती है और ट्रेक्टर समेत अन्य वाहनों की सेल कम होने लगती है. अप्रैल से दिसंबर, 2023 के बीच महिंद्रा एंड महिंद्रा की ट्रेक्टर सेल में लगभग 3 फीसदी की गिरावट आई थी. अगर मानसून अच्छा हो तो ग्रामीण इलाकों में स्थित बैंकों में डिपॉजिट बढ़ने लगता है. इस पैसे का इस्तेमाल बैंक लोन देने में करते हैं और उनका कारोबार बढ़ता है. इसके चलते इकोनॉमिक ग्रोथ मजबूत होती है. हाइड्रो इलेक्ट्रिक और विंड पावर सेक्टर भी मानसून पर निर्भर करते हैं. मानसून का असर इन सेक्टर की कंपनियों पर भी पड़ता है. बिजली उत्पादन के साथ-साथ पानी की सप्लाई भी मानसून पर टिकी हुई होती है. 


कमजोर मानसून से महंगाई में उछाल की आशंका  


यदि मानसून अच्छा रहता है तो एग्रीकल्चर प्रोडक्शन, रूरल इनकम और जीडीपी में लगभग 3 फीसदी की तेजी आ जाती है. हालांकि, कमजोर मानसून से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में इजाफा होता है. किसानों की आय प्रभावित होती है और सरकार पर वित्तीय दबाव बनता है. प्रोडक्शन कम होने से डिमांड में तेज इजाफा होता है और महंगाई में उछाल आने लगता है. इस समय देश की प्रगति में सबसे बड़ी चिंता महंगाई है. इसे लेकर रिजर्व बैंक भी चिंता जाता चुका है. ऐसे में आपको मानसून पर विशेष नजर बनाकर रखनी पड़ेगी.


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