Moodys Investor Service: रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moodys ) ने भारत 2022 के लिए भारत के आर्थिक विकास दर ( Economic Growth Rate) के अनुमान को घटा दिया है. मूडीज इवेस्टर्स सर्विस के मुताबिक 2022 में भारत का जीडीपी (GDP) 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है जो 2021 के 8.3 फीसदी के मुकाबले कम है. इससे पहले मूडीज ने 2022 में 8.8 फीसदी जीडीपी रहने का अनुमान जताया था. मूडीज ने कहा कि 2023 में जीडीपी में और भी गिरावट आ सकती है और ये 5.3 फीसदी रह सकता है. 


बुधवार को ही सांख्सिकी मंत्रालय ने जारी किया है जिसके मुताबिक 2022-23 की पहली तिमाही में जीडीपी 13.5 फीसदी रहा है. ये दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति से विकास कर रही है. लेकिन रेटिंग एजेंसियों से लेकर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि महंगे कर्ज और वैश्विक आर्थिक संकट का खामियाजा भारत को उठाना पड़ सकता है जिसके चलते आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है. 


दरअसल खुदरा महंगाई दर ( Retail Inflation) जब अप्रैल महीने में 7.79 फीसदी पहुंचा उसके बाद आरबीआई ने तीन बार हुई मॉनिटरी पॉलिसी की बैठकों में रेपो रेट में 1.40 फीसदी की बढ़ोतरी कर उसे 4 फीसदी से बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर दिया. जिसका नतीजा ये हुआ कि देश के कर्ज लगातार महंगा होता जा रहा है. 


मूडीज ने कहा है कि महंगे ब्याज दरों के साथ देश के कई क्षेत्रों में ज्यादा बारिश तो हीं कम बारिश से परेशानी खड़ी हो सकती है. उसपर वैश्विक ग्रोथ रेट में गिरावट, इन सभी वजहों के चलते भारत की विकास की गाड़ी की रफ्तार धीमी पड़ सकती है. 


मूडीज ने माना कि महंगाई से निपटना मौजूदा समय में आरबीआई के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. आरबीआई को देश के आर्थिक विकास और  महंगाई के बीच सामंजस्य स्थापित करना पड़ रहा है. जुलाई 2022 में खुदरा महंगाई दर 6.71 फीसदी पर आया है लेकिन ये अभी भी आरबीआई के टोलरेंस लेवल 6 फीसदी से ज्यादा बना हुआ है. बहरहाल मूडीज का मानना है कि ग्लोबल कमोडिटी कीमतों में गिरावट का भारत के आर्थिक विकास पर सकारात्मक असर पड़ा सकता है. 


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