नई दिल्ली: देशभर में फैली कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद मूडीज ने भारत की रेटिंग्स (Moody's Ratings) में सुधार किया है. इंडियन इकोनॉमी (Indian Economy) में देखी गई तेज रिकवरी के साथ-साथ ग्लोबल प्लेटफॉर्म (Global platform) पर भी अपनी पहचान बनाई है, जिसकी वजह से मूडीज ने भारत की रेटिंग को निगेटिव से बाहर निकाल कर स्टेबिल कैटेगिरी में रख दिया है. वहीं, मार्च 2021 में रेटिंग एजेंसी ने भारत को नकारात्मक कैटेगिरी में डाल दिया था. मूडीज ने आगे कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर 9.3 फीसदी से होगी.
अगले वित्त वर्ष में 7.9 फीसदी की दर से होगा विकास
इसके अलावा यह दर अगले वित्त वर्ष में घटकर 7.9 फीसदी रह सकती है. साथ ही मध्यअवधि में भारत की आर्थिक विकास दर करीब 6 फीसदी रहने का अनुमान है. कोरोना की दूसरी लहर के बाद फाइनेंशियल सिस्टम से जुड़े जोखिम काफी कम हुए हैं और इकोनॉमी में मजबूती देखने को मिली है. मूडीज (Moody's) ने भारत को 'Baa3' सॉवरेन रेटिंग (sovereign rating) दी है, जो कि जंक ग्रेड से बस एक पायदान ऊपर है.
पिछले साल घटाई थी सॉवरेन रेटिंग
आपको बता दें पिछले साल मूडीज ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को Baa2 से घटाकर Baa3 कर दिया था. मूडीज ने कहा था कि महामारी की वजह से बिगड़ती इकोनॉमी की स्थिति को देखते हुए मूडीज ने रेटिंग घटा दी था और रेटिंग का आउटलुक भी निगेटिव कर दिया था, जिसको अब सुधार कर स्टेबल कर दिया है.
विदेशी निवेशक रेटिंग के हिसाब से लेते हैं निवेश का फैसला
बीते गुरुवार को वित्तमंत्रालय अधिकारियों की मूडीज के साथ रेटिंग को लेकर बैठक हुई थी. इस बैठक में वित्तमंत्रालय के अधिकारियों के द्वारा प्रजेंटेशन दी गई थी. बता दें मूडीज की रेटिंग के आधार पर ही दुनियाभर के निवेशक भारत में निवेश का फैसला लेते हैं. अगर रिपोर्ट अच्छी होती है तो भारत में विदेशी निवेश बढ़ने की संभावना रहती है. इसके अलावा भारतीय कंपनियों के कर्ज लेने में भी मदद मिलती है.
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