Moodys Investor Service: वैश्विक आर्थिक संकट और महंगे घरेलू कर्ज के प्रभाव के चलते रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moodys ) ने एक बार फिर 2022 के लिए भारत के आर्थिक विकास दर ( Economic Growth Rate) के अनुमान को घटा दिया है. मूडीज इवेस्टर्स सर्विस के मुताबिक 2022 में भारत का जीडीपी (GDP) 7 फीसदी रह सकता है. मूडीज ने लगातार दूसरी बार आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटाया है. इससे पहले मूडीज ने मई महीने में 8.8 फीसदी से घटाकर जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को घटाकर 7.7 फीसदी कर दिया था. 


मूडीज इवेस्टर्स सर्विस ने ग्लोबल मेक्रो आउटलुक 2023-24 में कहा कि 2022 में भारत के जीडीपी अऩुमानों को 7.7 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया है. मूडीज के मुताबिक उच्च महंगाई दर, उच्च ब्याज दरें और वैश्विक ग्रोथ रेट के स्लोडाउन का विकास की रफ्तार पर असर पड़ सकता है. 


रेटिंग एजेंसी ने 2023 के लिए भी जीडीपी अनुमान को घटा दिया है. मूडीज के मुताबिक 2023 में जीडीपी 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है तो 2024 में 6.4 फीसदी जीडीपी रह सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक महंगाई दर में बढ़ोतरी, सेंट्रल बैंक की सख्त मॉनिटरी पॉलिसी, राजकोषीय चुनौतियों, भू-राजनीतिक बदलाव और वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव के चलते उच्च स्तर की अनिश्चितता के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के कगार पर है. 


मूडीज ने कहा कि 2023 में वैश्विक ग्रोथ रेट धीमा हो जाएगा और 2024 में सुस्त रहेगा.  मूडीज ने कहा कि फिर भी, 2024 तक सरकारें और केंद्रीय बैंक मौजूदा चुनौतियों के माध्यम से अर्थव्यवस्थाओं का प्रबंधन करते हैं तो रिकवरी संभव है. 


बहरहाल महंगाई दर लगातार चिंता का सबब बना हुआ है. सितंबर महीने में खुदरा महंगाई दर ( Retail Inflation)  7.4 फीसदी जा पहुंचा था. अक्टूबर के आंकड़े आने वाले हैं.  महंगाई के चलते आरबीआई ने चार बार मॉनिटरी पॉलिसी की बैठकों में रेपो रेट में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी कर उसे 4 फीसदी से बढ़ाकर 5.90 फीसदी कर दिया. जिसका नतीजा ये हुआ कि देश के कर्ज लगातार महंगा होता जा रहा है. 


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